Font by Mehr Nastaliq Web

धन्यवाद ज्ञापन

dhanyawad gyapan

संजय चतुर्वेदी

संजय चतुर्वेदी

धन्यवाद ज्ञापन

संजय चतुर्वेदी

और अधिकसंजय चतुर्वेदी

    सबसे पहले हम मुख्य अतिथि के आभारी हैं

    जो आते तो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता

    फिर उन सभी गणमान्य उल्लू के पट्ठों के

    जो अपनी हरकतों की वजह से इस क़ाबिल हुए

    फिर अलग-अलग साइज़ और डिज़ाइन वाले विद्वानों के

    जो मारे तनाव के शांत बैठे हैं

    हम सभी अफ़सरों के आभारी हैं

    और उनके चापलूसों के भी

    सभी प्रोफ़ेसरों के

    और उनके चापलूसों के भी

    हम जलेबी के आभारी हैं

    और उसके उद्गम के भी

    हम अमीबा के आभारी हैं

    वाइरस के बैक्टीरिया के

    साढ़े दस प्रतिशत ब्राह्मणों के हम बहुत आभारी हैं

    पौने साठ प्रतिशत दलितों के

    दो सौ प्रतिशत से भी ज़्यादा पिछड़ों के

    धरती, जल, अग्नि और वायु के

    पत्थरों, वनस्पतियों, पशु, पक्षियों के

    उनके अपने-अपने प्रतिशत के हिसाब से

    हम मुसलमानों के भी उनके प्रतिशत के हिसाब से आभारी हैं

    सामाजिक न्याय की बात करने वाले

    सभी बलात्कारियों और व्यभिचारियों के तो

    हम तहेदिल से शुक्रगुज़ार हैं

    हम हर प्रकार के पिछड़ेपन के आभारी हैं

    हर प्रकार के ओछेपन के

    जो चुस्त मूर्खता और सत्ता के संयोग से पैदा होती है

    उस टोपीदार मुस्कुराहट पर तो हम क़ुर्बान जाते हैं

    हम शैतान की आँख के आभारी हैं

    और उसके शातिर इशारों के भी

    दारू पीकर गालियाँ बकते पत्रकारों

    और सभी परजीवियों-बुद्धिजीवियों के भी हम बहुत आभारी हैं

    हम धर्मनिरपेक्षता के शुरू से ही आभारी रहे हैं

    और सांप्रदायिकता के भी

    हम हर तरह की बयानबाज़ी के आभारी हैं

    हम हर उस मौक़े के आभारी हैं

    जब मक्कार आवाज़ें आती हैं—साथी हाथ बढ़ाना

    जिसने हमें आज़ादी दिलाई

    या फिर ग़ुलाम बना के छोड़ दिया

    उस पार्टी के तो हम पीढ़ियों से आभारी रहे हैं

    फिर अभी तो पार्टी शुरू हुई है

    या हो ही नहीं पा रही

    हम सभी तमाशों के आभारी हैं

    सभी गोष्ठियों और उनमें भाग लेने वाले जोकरों के भी

    सभी सूरमाओं के

    जो भोपाल से बाहर भी सब जगह मिलने लगे हैं

    हम सभी प्रकार की भर्त्सनाओं के आभारी हैं

    सभी प्रकार के खंडनों के

    जिन्होंने समय-समय पर हमारी संस्कृति के पेट में गुदगुदी मचाई है

    उन तमाम सीत्कारों, फूत्कारों और हुंकारों के भी हम आभारी हैं

    जैसा कि हम पहले ही कह चुके हैं

    पिछड़े बने रहने की कभी ख़त्म होने वाली होड़ के तो हम

    जितना आभारी हों उतना कम है

    और कोई छूट तो नहीं गया

    हाँ, इससे पहले कि हम भूल जाएँ

    सभी लोग ध्यान से सुनें

    हम जासूस गोपीचंद के भी बहुत ज़्यादा आभारी हैं

    प्रेमचंद और मोहनदास करमचंद का नाम हम जानबूझकर छोड़ रहे हैं

    हम उन सबके आभारी हैं

    जिनका हमें नहीं होना चाहिए

    और अगर आप सोचते हैं

    की इससे भी ज़्यादा एहसानमंद होना चाहिए हमें

    तो हमारे पास अब कुछ बचा नहीं है

    और अब हमें सोने दो चमगादड़ो,

    सवेरे काम पर जाना है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : संजय चतुर्वेदी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए