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देह-राग : सात

deh raag ha saat

कंचन जायसवाल

कंचन जायसवाल

देह-राग : सात

कंचन जायसवाल

और अधिककंचन जायसवाल

    एक आहट-सी है

    इस तरह तुम्हारा आना

    कि सारे दरवाज़े खुले हैं

    सारे रास्ते रोशन

    देह मेरी कोयले-सी—

    तुम्हारे स्पर्श के पानी से जाग उठी है

    मैं चोर-मन के दरवाज़े पर

    साँकल चढ़ाती हूँ

    और धीरे-धीरे बज उठती है सरगम

    मैं नीम अँधेरे में

    अपने वस्त्र खोल रही हूँ

    और तुम दूसरी दुनिया में अपनी गाँठे

    देह सितार-सी झनझना उठी है

    और सारे सुर बेसुरे-से

    हम अलग-अलग—

    दो समयों के दो क़ैदी।

    स्रोत :
    • रचनाकार : कंचन जायसवाल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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