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डरावने स्वप्न

Darawne swapn

अशोक कुमार

अशोक कुमार

डरावने स्वप्न

अशोक कुमार

और अधिकअशोक कुमार

    बाबा डरावने क़िस्से सुनाया करते थे

    इतने डरावने

    कि मैं डरा-सहमा रहता कई-कई दिन।

    उन क़िस्सों के किरदार मेरे आस-पास रहते थे

    हर वक़्त मुझे डराते हुए।

    वे क़िस्से नहीं थे सच्चाइयाँ थीं

    ऐसा बाबा कहते थे।

    बाबा बताते कि जब थैले में बाट डालकर

    पीटा गया था उस प्रेमी को

    जो रात के अँधेरे में अपनी प्रेमिका से मिलने आया

    और फिर पकड़ा गया

    वह मरने के बाद प्रेत बन गया था।

    और वो जो अपनी आठवीं संतान को जनते हुए

    मर गई थी हरखू की माँ

    वो भटकती है चुड़ैल बनकर।

    और वो भीखू लोहार

    जो ग़लती से देवता के मंदिर में घुस गया था

    मंदिर को अपवित्र करता हुआ

    सज़ा मिली थी उसे

    ज़हर खाने या दीवार में चुने जाने की।

    और उसने ज़हर खाने और दीवार में चुने जाने में से

    दीवार में चुना जाना चुना था

    वो भी भटकता है भूत बनकर।

    बाबा बताते कि गाँव की वह बावड़ी

    जो घने पेड़ों से घिरी हुई

    गाँव के दखिन्न में दूर कहीं थी

    बिल्कुल सुनसान, सन्नाटे को ओढ़े हुए।

    कि जहाँ हर वक़्त रहती थी

    उल्टे लटके चमगादड़ों की दुर्गंध

    कि जहाँ दिन में भी बोल पड़ते थे उल्लू

    कि जहाँ झाड़-झंखाड़ों के बीच

    नहीं पहुँचती थी सूरज की रौशनी

    ये तीनों वहीं रहते थे

    अपने-अपने बदले की योजनाएँ बनाते हुए।

    मेरे सपनों में आज भी कभी-कभी

    आती है वो सूनी बावड़ी

    दिन में भी निपट अँधेरी

    झाड़ियों, बेलों से घिरी हुई

    बिल्कुल किसी अँधेरी खोह की तरह।

    मैं उन तीनों प्रेतों के बीच—

    ख़ुद को घिरा हुआ पाता हूँ,

    अकेला, बिल्कुल अकेला

    मैं डरता हूँ, और मेरे हाथ प्रार्थना में उठ जाते हैं।

    मैं उस कभी उस प्रेमी की प्रेमिका हो जाना चाहता हूँ

    जिसे मार दिया गया

    और कभी उस माँ की आख़िरी संतान।

    और कभी-कभी उस मंदिर का देवता होकर

    भीखू लोहार से माफ़ी माँगना चाहता हूँ।

    पर ऐसा हो नहीं पाता

    मैं डर जाता हूँ

    वे तीनों ज़ोर से हँसते हैं

    मैं और डरता हूँ

    वे और ज़ोर से हँसते हैं

    और तब खुल जाती है मेरी नींद

    अब मैं इस स्वप्न से आज़ाद होना चाहता हूँ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अशोक कुमार
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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