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डार्क चॉकलेट

Daark chocolate

सत्यम् सम्राट आचार्य

सत्यम् सम्राट आचार्य

डार्क चॉकलेट

सत्यम् सम्राट आचार्य

और अधिकसत्यम् सम्राट आचार्य

    तुम्हारी रसना में आलिप्त

    हुआ यह मधुर-मिष्ट-मकरंद।

    सुना हो जैसे बरसों बाद

    किसी ने कालिदास का छंद॥

    नहीं पूछोगी क्या इस बार

    हुआ यह कैसे इतना मिष्ट?

    बता ही देता हूँ, इस चॉकलेट—

    की कथा बड़ी है क्लिष्ट॥

    बहुत ही बरसा था आषाढ़

    शरद ने तोड़े थे प्रतिमान।

    गई हेमंत ऋतु भी बीत

    शिशिर का अभी हुआ अवसान॥

    द्रुम-दलों के कानों में तभी

    बहुत धीमे से और चुपचाप।

    शिशु-किसलय की नन्हीं नींद

    तोड़ती वासंती पदचाप॥

    हटाते, ममतामयी-दलपुंज

    प्रसूनों पर से नेह-दुकूल।

    अभी शैशव से हुआ किशोर

    विकसता एक प्रेम का फूल॥

    मानकर प्रेयसी का अधरोष्ठ

    चूमता मधुकर जिसे नितांत।

    मधुर पाटल-पराग का सार

    संग्रहित करता वह उर-प्रांत॥

    उसी मधुरस में कोको बीज

    पीसकर डाल दिए हैं पाँच।

    मिलाकर किंचित‌ गौमय-क्षीर

    उबाला उसको धीमीं आँच॥

    हुई है अब लो यह तैयार

    प्रियतमा डार्क-चॉकलेट एक।

    निर्मिति इसकी है दुर्भेद्य

    देना तुम भी इसको फेंक॥

    मानकर कोमल मधु-मकरंद

    लगाना इस पर दंताघात।

    प्रिये! जैसे मेरा नित-नेम

    कलेजा खाती हो दिन रात॥

    स्रोत :
    • रचनाकार : सत्यम् सम्राट आचार्य
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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