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कवि

kawi

मैं जो

महज़ एक आदमी से या

महज़ एक औरत से

संबंध रखना

या निबटना

मुश्किल पाता हूँ

मुझमें, हे ईश्वर

यह पागल इच्छा क्यों

कि मैं दुनिया के हर आदमी को

और हर औरत को

और हर बच्चे को

हर जीव-जंतु को

हर पत्ते-पक्षी और तिनके को

धूल के हर कण को,

हर-हर कण को

समझूँ और जानूँ

हरदम समझूँ और हरदम जानूँ

और जब-जब ज़रूरत हो उन्हें

उनकी तरफ़ लपकूँ और लपकूँ

भले ही कुछ कर पाऊँ

पर लपकूँ

मज़े में लपकूँ

हे ईश्वर क्यों? क्यों?

स्रोत :
  • पुस्तक : साक्षात्कार 137-139 (पृष्ठ 40)
  • संपादक : मनोहर वर्मा
  • रचनाकार : महेंद्र भल्ला
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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