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चक्‍कर

chak‍kar

नवीन रांगियाल

और अधिकनवीन रांगियाल

    तमाम बॉयलर मुर्ग़ों की तरह

    अपने पिंजरे में बेचैन है दुनिया

    अतीत के ख़ंजर और भविष्य के चाक़ू आदमी की ताक में हैं

    अपने ग़ुस्से के लिए सबको एक गर्दन चाहिए

    और प्रेम के लिए बिस्तर

    जीने के लिए सब जगह धूप से भरी एक सड़क होनी चाहिए

    मरने के लिए कोई बहुत पुरानी याद

    दुःख और आतंक से छुपने के लिए भीड़ सबसे घुप्प अँधेरा है

    शराब के अहाते सबसे महफ़ूज़ और चुप जगहें

    अपने कान बंद करने के लिए

    मैं अक्सर अहातों में जाकर बैठ जाता हूँ

    काँच के गि‍लासों का टूटना संगीत है

    चीख़ने के लिए चुनता हूँ रातें

    और नींद का एक बेफ़िक्र नाटक

    मैं दुनिया को झिलमिलाते हुए देखना चाहता हूँ

    इसलिए आँख में नमी लेकर निकलता हूँ घर से

    अपनी उबासियों में

    दुनिया की सारी लड़कियाँ एक-सी हैं

    उसकी 'हाँ' के सारे दरवाज़े बंद हैं

    क्योंकि वह सिर्फ़ प्रेम लिखता है

    प्रेम करता नहीं

    मैं ईश्वर को दुत्कार कर अपने घर से भगा देता हूँ

    क्योंकि मेरा कुत्ता उसे पहचानता नहीं

    मुझे अपने कुत्ते पर दुनिया के सारे योगियों से ज़्यादा यक़ीन है

    वह गोश्त खाने के तुरंत बाद ध्यान पर बैठ जाता है

    उसका आज्ञाचक्र दुनिया में सबसे ज़्यादा तटस्थ है

    इन सब बातों का मतलब यह था दरअस्ल

    कि कुत्तों के पास मनुष्य की तरह

    जीवन-मृत्यु का चक्कर नहीं होता!

    स्रोत :
    • रचनाकार : नवीन रांगियाल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए द्वारा चयनित

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