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कश्मीर का एकीकरण

kashmir ka ekikarn

अनुवाद : शांतिकुमार नानूराम व्यास

एन. भीम भट

एन. भीम भट

कश्मीर का एकीकरण

एन. भीम भट

और अधिकएन. भीम भट

    जिसे भूमि में प्रतिष्ठा प्राप्त हो चुकी है, जो देववृंदों से युक्त इंद्रसभा

    के समान है, जिस देवी का पाश्चात्य लोग भी प्रतिदिन मुक्त कंठ से

    स्तवन करते हैं, जो स्वतंत्रता प्राप्त कर, अपने समस्त पुत्रों को समृद्ध कर,

    आनंदित हुई है, वह भारत-माता आप लोगों को संपूर्ण मंगल प्रदान करे।

    स्वतंत्रता के समर में अहिंसा-रूपी कवच से सज्जित, शांति-रूपी

    शस्त्रधारी, बुद्धिमान् जगद्गुरु गाँधी आपकी रक्षा करें।

    जब तक पृथ्वी पर वेदों और उपनिषदों की महत्ता रहेगी,

    तब तक भारतवर्ष का प्रभाव रहेगा, इसमें कोई संदेह नहीं।

    जो अपना तन-मन-धन सब कुछ समर्पित कर तथा अत्यंत दुःख भोग

    कर गाँधीवाद के भक्त बने, जिन्होंने सत्याग्रह-युद्ध में प्रकाशमान होकर

    देश का नेतृत्व ग्रहण किया और प्रचण्ड बलवान् पाश्चात्य वीरों के साथ जिन्होंने

    निःशस्त्र होकर युद्ध किया (ऐसे हैं जवाहरलाल)।

    हे देवों और मनुष्यों द्वारा स्तुति की जाने वाली भारती, तुम कहाँ हो?

    तुमने अपने गुण-समूह से समस्त संसार को आकर्षित कर लिया है।

    तुम एक क्षण के लिए लोगों के चित्त पर अनुग्रह करो,

    जिससे उनकी बुद्धि निखर जाए।

    लोग स्वार्थ भावना से प्रतिदिन अपने पक्ष को सिद्ध करते हैं। ऐसे

    लोगों के अधिक संख्या में होने से क्या लाभ? समस्त संसार में स्वार्थ

    (का ही प्राधान्य हो जाना) उचित नहीं। जो व्यक्ति प्राणों के कंठ में जाने

    पर भी देश की समृद्धि के लिए सतत प्रयत्न करता रहता है, वही पृथ्वी पर

    सम्मान का पात्र है, उसी का प्रताप महान् है, उसी से राष्ट्र की उन्नति

    होती है।

    कश्मीर के भारत में विलीन हो जाने से जिनका मन प्रसन्न हो गया

    है, ऐसे सभी लोग देश में दलगत कलह को छोड़ दें, स्वार्थरूपी पिशाच

    को दूर कर दें तथा महात्माजी द्वारा वांछित रामराज्य को प्राप्त करके

    आनंदपूर्ण रहें।

    स्रोत :
    • पुस्तक : भारतीय कविता 1954-55 (पृष्ठ 679)
    • रचनाकार : एन. भीम भट
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी

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