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मंगन प्रसाद

mangan prasad

रमाशंकर सिंह

रमाशंकर सिंह

मंगन प्रसाद

रमाशंकर सिंह

और अधिकरमाशंकर सिंह

    सिरका माँगने का हुनर

    सबसे बढ़िया मेरी बुआ के पास था

    पहले वे भाभी की प्रशंसा करतीं

    फिर उनके नैहर की

    फिर उनके नैहर से आए सिरके की

    फिर किसी दिन

    डालडा के डिब्बे में सिरका

    पहुँच जाता उनके घर

    कटहल माँगने वाले

    पहले मौसम की करते तारीफ़

    फिर कहते

    कहीं कटहल का कोया गमक रहा

    गृहस्वामी लाद देता उनकी साइकिल पर

    पका हुआ कटहल

    आम माँगने वाले भी यही काम करते

    बरसों पहले अपना गाँव-जँवार छोड़ आए

    शहरी काला नमक चावल माँगते

    अपने किसी रिश्तेदार से

    उसके खेत की प्रशंसा

    या कोई इधर-उधर की घरेलू बात करके

    ये सभी माँगने वाले लोग

    थोड़े कलात्मक थे

    थोड़े-से सहृदय

    थोड़ा-सा दरेग था उनके अंदर

    कुछ तो बर्तन ख़ाली नहीं लौटाते थे

    सिरके के बदले दही ही भेज देते थे

    धनिया लहसुन मंगरैल रख देते उसके अंदर

    ख़ाली बर्तन अशुभ माना जाता

    लेकिन सरकारी घूसख़ोर

    एक शब्द बोलने से पहले दो बार काँखते

    इधर की फ़ाइल उधर रखते

    और कहते—

    हमें भी ऊपर जवाब देना पड़ेगा

    एक ने घूस नहीं माँगी मुझसे

    माँगा दस बोरी सीमेंट

    दो हज़ार ईंट

    बीच शहर में बनाया घर

    नाम रखा : काव्य-निकेतन

    मुझसे बस इतना कहा—

    यह सहयोग है तुम्हारा राष्ट्र-निर्माण में।

    स्रोत :
    • रचनाकार : रमाशंकर सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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