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चुप्पी

chuppi

मलयज

मलयज

चुप्पी

मलयज

और अधिकमलयज

    शाम के आसमान में चिड़ियों के गोल सहसा

    फड़फड़ा कर ऊपर छूटते हैं कलाबाज़ी खाते हुए

    फिर नीचे झपटते हैं वृक्ष की पसलियों में एक-एक कर

    बीत जाते हैं साँस की तरह

    एक चुप्पी तोलती है

    धमाके और धुएँ के बीच का सपाटपन

    स्रोत :
    • पुस्तक : अपने होने को अप्रकाशित करता हुआ (पृष्ठ 24)
    • रचनाकार : मलयज
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 1980

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