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चिम्मु

chimmu

पवन चौहान

पवन चौहान

चिम्मु

पवन चौहान

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    रोचक तथ्य

    ‘चिम्मु’ अर्थात शहतूत के पेड़ पर लगने वाला फल। स्थानीय भाषा में उसे यहाँ ‘चिम्मु’ कहा जाता है। किन्नौर हिमाचल का जनजातीय क्षेत्र है जहाँ सेब, खुमानी, न्योजा, चुली, अखरोट और बादाम जैसे ड्राई फ्रूटस बहुतायत मात्रा में पाए जाते हैं।

    मेरी चार साल की नन्ही बेटी

    रोज़ पूछती है फोन से

    चिम्मुओं का हाल

    मैं देता रहता हूँ उसे हर सूचना

    हर तरह से हिसाब

    ‘अभी-अभी लगे हैं चिम्मु

    अभी हरे हैं वे

    नहीं चढ़ा उन पर मौसम का रंग

    अभी नहीं हुए वे

    काले, सफ़ेद और बैंगनी

    अभी-अभी जन्मे हैं वे

    खोली हैं आँखें टहनी के गर्भ से

    लेने लगे हैं अभी-अभी साँस

    ताकने लगे हैं बाहर का हर नज़ारा

    दुनिया की रेलमपेल, भागमभाग।

    दूर किन्नौर में बैठी मेरी नन्ही बेटी

    होती रहती है चिम्मुओं की हर सूचना पर

    ख़ुश और दुखी साथ-साथ

    कर लेना चाहती है वह

    पिता की हर बात की तसल्ली

    व्हाट्सएप्प से माँगती है रोज़

    चिम्मुओं का फोटो

    उसे बहुत पसंद हैं चिम्मु

    ख़ासकर अपने दोनों पेड़ों के

    काले और सफ़ेद चिम्मु

    उग आए थे जो वर्षों पहले

    बेटी के जन्म से भी

    लाया था किसी पक्षी का बीट उन्हे

    या फिर ये बीज

    आए होगें हवा में लहराते, गाते, झूमते हुए

    सिर्फ़ मेरी बेटी के लिए ही।

    छुट्टी पर इस बार माँ के साथ घर आई बेटी

    जान गई थी फिर लगने वाले हैं चिम्मु

    वह बार-बार सुनाती रही मुझे एक ही बात

    पापा वहाँ लदे हैं पेड़

    सेब, खुमानी, न्योजा, अखरोट और बादाम से

    बस नहीं हैं तो

    चिम्मु!

    आज तोड़ रहा हूं दोनों पेड़ों के पके चिम्मु

    और संभाल कर रख रहा हूँ उन्हे

    छोटी-सी गत्ते की पेटी में

    सुबह पाँच बजे वाली मंडी-रिकाँगपिओ बस से

    भिजवाऊँगा बेटी को रंग-बिरंगे चिम्मु

    और ढेर सारा प्यार।

    स्रोत :
    • रचनाकार : पवन चौहान
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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