चलो याद की चाभी से, तिथियों के ताले खोलें
chalo yaad ki chabhi se, tithiyon ke tale kholen
यश मालवीय
Yash Malviya
चलो याद की चाभी से, तिथियों के ताले खोलें
chalo yaad ki chabhi se, tithiyon ke tale kholen
Yash Malviya
यश मालवीय
और अधिकयश मालवीय
बहुत दिन हुए, अपने से ही
कुछ बतियाएँ—बोलें
चलो याद की चाभी से
तिथियों के ताले खोलें
रातों को सूरज देखें
औ' दिन में चंदा देखें
बँधी नाव को हिलता-डुलता
नदी किनारे देखें
जागी आँखों सपने देखें,
जागी आँखों सो लें
अलग-अलग-सी होली थी वो
और अलग दीवाली
एक डायरी बुला रही है,
शायद 'नब्बे' वाली
मिलकर हँसे साथ में,
बीती-सी बातों पर रो लें
कुछ ऐसी तरकीब करें
मौसम हो जाए सुहाना
नई-नई-सी धुन पर गाएँ,
कोई गीत पुराना
हवा संग भीगे, ख़ुशबू में,
धीरे-धीरे डोलें।
- रचनाकार : यश मालवीय
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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