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चाचा नेहरू

chacha nehru

शंकर शैलेंद्र

शंकर शैलेंद्र

चाचा नेहरू

शंकर शैलेंद्र

और अधिकशंकर शैलेंद्र

    फूल खिलेगा बाग़ों में जब तक गुलाब का प्यारा,

    तब तक ज़िंदा है धरती पर चाचा नाम तुम्हारा।

    जब तक है इस जग में चंदा, सूरज का उजियारा,

    तब तक ज़िंदा है धरती पर चाचा नाम तुम्हारा।

    हमको है दु:ख हमने खो डाला अपना हमजोली,

    जिसके साथ दिवाली, जिसके संग खेली होली,

    कौन बड़ा अब हम जैसा बन के खिलवाड़ करेगा,

    खेलेगा जग के आँगन में जब तक बचपन प्यारा,

    तब तक ज़िंदा है धरती पर चाचा नाम तुम्हारा।

    कौन मँगाकर देगा हमको भालू, हाथी, चीते,

    बचपन के दिन अपने तो बचपन से पहले बीते,

    कौन हमें चिट्ठी लिखेगा प्यार भरी भाषा में,

    हाय तुम्हें भी हम लिख पाते काश और तुम जीते,

    जब तक बच्चे मुस्काएँगे ज्यूँ निर्मल जलधारा,

    जब तक ज़िंदा है धरती पर चाचा नाम तुम्हारा।

    वो मुस्कान हमारे जैसी हृदय जीतने वाली,

    वो ग़ुस्सा जो शीतल है जैसे बरखा मतवाली,

    वो घुरकी जो सिखलाती है सबक याद कर लेना,

    वो बातें जैसे बिखराए फूल फूल की डाली,

    याद आएँगी जब तक दु:ख में देंगी याद सहारा।

    चले गए हो लेकिन लगता है तुम यहीं छुपे हो,

    जैसे हम बच्चों से आँख-मिचोली खेल रहे हो,

    बग़िया के फूलों में बिखरी है मुस्कान तुम्हारी,

    नदियों के संग चलते हो, परबत के साथ खड़े हो,

    जब तक बाक़ी है दुनिया में, जो कुछ भी है प्यारा,

    जब तक ज़िंदा है धरती पर चाचा नाम तुम्हारा।

    कभी भूलेंगे हम, तुमने इतना प्यार दिया है,

    कभी मुरझाएगा तुमने जो गुलज़ार दिया है,

    हमें तुम्हारी यादों की सौगंध के हम बच्चे भी,

    योग्य बनेंगे उसके तुमने जो संसार दिया है,

    जब तक मेहनत के हाथों जाएगा विश्व सँवारा,

    जब तक ज़िंदा है धरती पर चाचा नाम तुम्हारा।

    हम सच्चे इनसान बने, हम दोस्त बने विश्वासी,

    हम चाहे जो हों, पहले हों अच्छे भारतवासी,

    कभी हो अब जंग ज़मीं पर देश रहें सब मिलकर,

    जंग एक ही हो दुनिया में भूख, रोग और दु:ख पर,

    जब तक बहती है इस दुनिया में गंगा की धारा,

    तक तक ज़िंदा है धरती पर चाचा नाम तुम्हारा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : अंदर की आग (पृष्ठ 144)
    • संपादक : रमा भारती
    • रचनाकार : शंकर शैलेंद्र
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2013

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