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बुकोवस्की को पढ़ने वाले लड़के के लिए

Bukowski ko padne wale ladke ke liye

शालू

शालू

बुकोवस्की को पढ़ने वाले लड़के के लिए

शालू

और अधिकशालू

    अर्ली थर्टीज़ की तरफ़ बढ़ रहा लड़का

    बुकोवस्की में डूबा है

    और मैं उसकी ब्लैक एंड व्हाइट फ़ोटो में

    मैं वह किताब

    छुपा देना चाहती हूँ—

    बिस्तर के नीचे

    और खोजना चाहती हूँ नेल फ़ाइलर

    उसके नाख़ूनों को

    क़रीने से फ़ाइल करने के लिए

    मैं चाहती हूँ—

    उसके नाख़ूनों के निशान

    अपने होंठों पर

    सीने पर

    चाहती हूँ—

    तमाम उम्र ये निशान ओझल हों

    चाहती हूँ—

    छिल जाएँ :

    माथा,

    हाथ,

    उँगलियाँ,

    पैर…

    चाहती हूँ—

    किसी सर्द रात मापना

    उसके सीने का तापमान

    हर बीतते घंटे पर

    मैं अपनी जीभ से रँगना चाहती हूँ

    उसके पैरों को

    और मिख़ाइल शोलोख़ोव की

    ‘धीरे बहे दोन रे…’ के

    पीले पन्नों पर लेना चाहती हूँ

    उसके क़दमों की छाप

    जो जाने

    कितनी यात्राओं से लौटकर थके थे

    और योग्य थे गर्म चुंबनों के

    मैं बुकोवस्की की किताब जला देना चाहती हूँ

    और उससे कहना चाहती हूँ—

    अतीत में लौट सको

    तो यह किताब उस उन्नीस साल के लड़के को देना

    जो क्लीन शेव में था

    और जिसकी आँखों के नीचे

    गहरे काले गड्ढे थे

    सोचती हूँ—

    देह के परे

    एक दुनिया होती है

    जहाँ तुम और मैं

    एक पेंडुलम हैं—

    अपनी वस्तुस्थिति से डोलते हुए

    साम्य में आने की जद्दोजेहद में

    पर अंत में कर पाती हूँ इतना ही—

    अपनी कॉन्टेक्ट-लिस्ट में

    जाकर तुम्हारा नाम बदल देती हूँ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : शालू
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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