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बुद्धिजीवी

buddhijiwi

अनुवाद : शंकर लाल पुरोहित

ब्रजनाथ रथ

ब्रजनाथ रथ

बुद्धिजीवी

ब्रजनाथ रथ

और अधिकब्रजनाथ रथ

    अपनी चतुर बुद्धि का बीज

    ख़ूब सहेज कर रखें महाशय,

    ख़ूब सावधानी से!

    देखिए,

    कहीं बाहर की धूल- माटी विषैली हवा

    छूकर उसकी प्रजनन शक्ति

    नष्ट हो जाए !!

    अपनी प्रखर प्रज्ञा की फ़सल की

    सुरक्षा करें, महाशय

    असभ्य जोंक और दीमक के कोप से,

    वरना विदेशी खाद में पुष्ट

    इस सुवर्ण शस्य को

    चाट-पोंछ कर देंगे नष्ट-भ्रष्ट,

    बुभुक्षु टिड्डियों के दल !

    अपनी अद्भुत मेधा के

    मूल्यवान मेडल

    ख़ूब सावधानी के साथ

    सहेज रखें, महाशय !

    मगज के गोपन कक्ष में;

    ताकि इतर लोगों की

    अश्लील छाँव छूकर

    उसकी चमकीली निकेलिंग

    नष्ट हो जाए।

    और ख़ूब सतर्कता के साथ

    मार्बल बिछे

    शीत-ताप नियंत्रित कमरे की

    घूमती कुशल कुर्सी पर बैठकर

    चुरूट लीजिए।

    देखिए—

    कहीं बाहर की दूषित हवा छूकर

    आपकी पृथुल देह का

    लावण्य नष्ट हो जाए!

    बाहर के गंदले पानी के छींटे छूकर

    आपकी इस्त्री की गई पोशाक

    नष्ट हो जाए।

    और आवारा असभ्य आदमियों की

    आर्त-आतुर चीख़ में

    भंग हो जाए आपकी शांति।

    आपके क्लासिक व्यक्तित्व की कौंध में

    आपके निस्वार्थ की महक में

    मुग्ध सारा देश

    आमोदित सारा जनगण

    परंतु आप उनसे

    ज़रा बचकर रहें!

    निश्चिन्त देखना, महाशय

    'महाभारत' के रक्तक्षयी वीभत्स समर

    आपकी दुःशासनी दृष्टि के दर्पण में

    बिम्बित होता रहे—

    द्रौपदी-वस्त्रहरण का चमत्कारी दृश्य;

    और आपकी सुनहली स्वप्न की साँकल में

    बँधा झूलता रहे

    महामहिम साधव सम्राट का

    सहस्त्र स्वर्णमुद्रा और ताम्रफलक,

    जो आपके अप्रतिम कृतित्व के

    ज्वलंत स्मारक

    और अकुंठित स्वीकृति के

    अनमोल हस्ताक्षर हैं!!

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीसवीं सदी की ओड़िया कविता-यात्रा (पृष्ठ 150)
    • संपादक : शंकरलाल पुरोहित
    • रचनाकार : ब्रजनाथ रथ
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2009

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