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ब्रेकअप

brekap

 

एक 

उसे उन ग़लतियों के बारे में कुछ भी पता नहीं था
जो ग्लेशियर की तरह हमारे शरीरों के बीचों-बीच 
बिस्तर पर जम गई थीं 
मैं ग्लेशियर के इस तरफ़ खड़ा उसकी बर्फ़ीली आँखों में 
ताक रहा था और वे सारे सबूत जमा 
करना चाह रहा था 
जो मेरी ग़लतियों के हिस्से में आने थे 
बर्फ़ का कोई नुकीला टुकड़ा
कोई ख़ंजर, कोई पिस्तौल 
या कोई कठोर तिकोना पत्थर
अथवा ऐसी ही कोई मामूली चीज़ 
जो किसी ख़रगोश के नन्हें शावक जैसे नर्म, मुलायम 
और अबोध प्यार का क़त्ल कर देने के लिए काफ़ी होता
इतनी दूर से यह जान पाना बहुत मुश्किल था 
कि क्या सबूतों को लेकर इतनी ही बैचैनी उसके भी
भीतर थी या नहीं 
क्या उसने भी जुटाए थे मेरे या अपने विरुद्ध कोई सबूत
आख़िर इसमें तो कोई दो राय नहीं 
कि क़त्ल तो हुआ ही था 
और मौक़ा-ए-वारदात पर
हम दोनों के सिवा और कोई था भी नहीं 

इस क़त्ल के दुःख पर इस रहस्य की 
बेचैनी भारी पड़ रही थी 
कि इसे हम दोनों में से किसने अंजाम दिया था 
ज़ाहिर है बिस्तर पर पड़ी अकेला निर्जीव तकिया तो 
यह काम नहीं कर सकता था 
मैं कई रातों उसे कमरे में अकेली सोता छोड़ 
छत पर नंगे पाँव टहलता रहा था 
ऐसा लगता था कि अब मैं 
हमेशा इसी तरह बदहवास
चाँद के नीचे टहलता रहूँगा 
और वह सोती रहेगी ख़ामोश दीवार से मुँह सटाए
तब मुझे पहली बार लगा था 
कि मनुष्य मृत्यु या मृत्यु के 
जैसे अन्य किसी भयानक दुःख से भी अधिक पीड़ित 
किसी रहस्य से होता है 
ऐसे में वह या तो रहस्य से बचना चाहता है 
या समय रहते उसे सुलझा लेना चाहता है 
इसी रहस्य की पीड़ा से वह दर्शन से लेकर विज्ञान तक
जन्माने को मजबूर होता है 
इसी रहस्य के कोड़े से पीड़ित वह गॉड को एक पार्टिकल में 
बदलकर देखना चाहता है 
और इसी के चलते टहलते हुए पृथ्वी की परिधि के बाहर 
चला जाता है

वह आख़िरी बार ख़ामोश थी फ़ोन के दूसरी तरफ़
उसकी ख़ामोशी समकालीन दुनिया का सबसे बड़ा रहस्य थी 
मैं डर से जितनी ज़ोर से चीख़ सकता था 
उतनी ज़ोर से चीख़ा था : 
मुझे इस रहस्य से मुक्त कर दो।

दो

वह जो मुझे खो देने के भय से मुक्त हो गई
दुनिया की सबसे बहादुर लड़की साबित हुई 
वह जा रही थी मुझसे दूर हमेशा के लिए 
अपनी उदासी से आज़ाद होकर 

मैं उससे लड़ा अपनी पूरी बेरहमी के साथ 
हाथों में भय, क्रोध, याचना
और अपार दुःख और तनाव के हथियारों को उठाए
मैं दरअसल उसकी आज़ादी के ख़िलाफ़ था 
जो अपनी एक मुस्कान तक के लिए 
मेरे रहमो-करम पर निर्भर थी 
मैं ख़ुश था कि उसके जीवन में छाया हुआ था 
बादलों की तरह
मैं जब चाहे उसकी आँखों 
और होंठों पर मेह बनकर बरस सकता था 
और जब चाहूँ उसे डुबो सकता था अपने प्यार के 
अथाह जल में 
कभी-कभी जब वह डूब रही होती थी 
मैं किनारे खड़ा मुस्कुरा रहा होता था 
उसे तैरना नहीं आता था
ये बात हालाँकि मैं जानता था 
फिर भी मैंने ढँक लिया था उसके जीवन में सूर्य को
मैं चाँद तो क्या   
तारों को भी उस तक 
बिना अपनी मर्ज़ी के 
नहीं पहुँचने देता था 
दरअसल, मैं उसे क्रूरता की इस हद तक 
प्यार करता था कि उसके वर्तमान तो क्या 
अतीत और भविष्य तक को निगल लेना चाहता था 

वह जब भी उदास होती 
मैं उसका हाथ धीरे से छोड़कर कहता : 
क्या मैंने तुम्हारी आज़ादी छीन ली है 
वह कहीं नहीं जाती 
वह मेरी छाती पर गाल टिकाए बूँद दर बूँद रोती-सिसकती 
वह मुझे एक गोह की तरह जकड़ती चली जाती 
कहती जाती कि तुम मुझे छोड़कर कहीं चले तो नहीं जाओगे 
मैं उसके भोलेपन पर हैरान होता 
अपने आप से पूछता : 
क्या यह कभी संभव है 

मुझे नहीं पता चला जब वह पहली बार 
मेरे बिना मुस्काई होगी 
जब वह एक बर्फ़ीले पहाड़ की चोटी पर 
दुनिया की ओर बाँहें पसारे खड़ी हुई होगी 
जब उसे पहली बार लगा होगा कि जीवन की कल्पना 
मेरे बिना असंभव बात नहीं  
मैं सोचता हूँ वह मेरे जीवन का 
कितना भयानक दिन रहा होगा 
उस वक़्त मैं इस बात से बेख़बर कहाँ रहा हूँगा 
मेरी किसी बेफ़िक्र नींद में पहली बार उसका हाथ
मेरे हाथ से फिसला होगा 
और मुझे पता नहीं चला होगा 
वह अपने जूतों में उस समय सुबह-सुबह 
अकेली टहलने निकल गई होगी 
फूलों पर टिकी ओस उसे देख मुस्काई होगी 
और सूरज ने बजाई होंगी तालियाँ 
उसकी आज़ादी की आहट पर 
क्या पता उस दिन उसने 
प्यार को एक लंबी बीमारी की तरह देखा हो 
और सोचा हो उससे मुक्ति के बारे में  

जब उसने आख़िरी बार अपने सूखे 
होंठों से मेरे माथे पर चूमा था 
उस दिन को याद करके आज सिहरन होती है 
कि हमें सचमुच कई बार आभास तक नहीं होता उन चीज़ों का 
कि दरअसल वह आख़िरी बार जीवन में घट रही हैं 
मैं सचमुच नहीं जान पाया था 
जब उसने जाते हुए मुझे आख़िरी बार मुड़कर 
देखा था
वे आँखें आज भी मुझे अपने कँधे पर रखी मालूम होती हैं 
मैं उन्हें महीनों पढ़ता रहा लेकिन उनमें 
छुपे उस ‘अंतिम’ को नहीं जान पाया 
वह यह सब कर पाई क्योंकि वह एक बहादुर लड़की थी
बहरहाल इस कहानी की सीख यही है 
कि एक बहादुर लड़की से प्यार करना 
उतना ही ख़तरनाक काम है 
जितना कि एक कमज़ोर लड़की से प्यार करना
अंत में यदि आप गणित में अच्छे हैं 
तो प्रमेय लगाकर आसानी से इस नतीजे पर 
पहुँच सकते हैं कि
प्यार करना एक बेहद ख़तरनाक काम है।

तीन

एक कमज़ोर लड़की से प्यार करना बड़ा ख़तरनाक काम है 
आप उसे टूट कर प्यार नहीं कर सकते 
चूँकि ज़्यादा संभावना इसी बात की है 
कि आप उसे प्यार करते हुए 
बुरी तरह टूट सकते हैं 
यह टूटना इतना ही ख़तरनाक 
हो सकता है जितना भाखड़ा बाँध का टूटना 
या सुनामी का उठना समंदर के किनारे 
इस तबाही पर कोई ख़बरें प्रसारित नहीं होंगी
यज्ञ, पूजा, हवन और प्रार्थनाएँ नहीं की जाएँगी 
इस भयावह शोक पर 
हो सकता है अपनी ही अर्थी अकेले उठाए 
दिल्ली जैसे महानगर में 
महीनों या सालों भटकना पड़े 
संभव है आप अपनी पीठ पर 
अनजान थूकों के गीले धब्बे महसूस करें 
होने को कुछ भी हो सकता है
एक कमज़ोर लड़की से प्यार करते हुए।

   
स्रोत :
  • रचनाकार : घनश्याम कुमार देवांश
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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