ब्लैकबोर्ड पर सवाल टँगा है...
blaikaborD par sawal tanga hai
एक : कुसुम
ब्लैकबोर्ड पर सवाल टँगा है
जवाब देना है कुसुम को
डिफ़रेंशियल इक्वेशन!!
अब कैसे समझाए कुसुम पापा को
कि कैलकुलस की ट्यूशन ज़रूरी है
एन.सी.ई.आर.टी. का सहस्रपाठ नहीं
चुपचाप खड़ी है सिर झुकाए
क्लास के सत्तर लड़कों की टेढ़ी मुस्कान के सामने
देख रहा है उसे देश का भविष्य
गणित का अर्जुन
अपूर्व दया से
खीझ उठे हैं टीचर
'रोटी बनाओ जाकर
कैलकुलस तुमसे बनने का नहीं
दिमाग़ में रत्ती भर धार नहीं
मैथ्स पढ़ने का शौक़ चर्राया है
रटो जा कर बौटेनी-ज़ूलॉजी...'
बैठ गई है चुपचाप कुसुम
गहन आलोचनात्मक विमर्श चल रहा है
5:75 के लिंगानुपातवाली कक्षा में
गणित पढ़ने का जन्मसिद्ध अधिकार लेकर उत्पन्न
पचहच्चर कुलदीपक (भावी इंजीनियर)
व्यस्त हैं शिक्षक के साथ
हँसी-ठहाकों भरी बहस में
आख़िर यह गणित के भविष्य का सवाल है!
इक्कीसवीं सदी की कई बड़ी घटनाएँ
हमें नहीं मालूम
जैसे हम नहीं जानते कि
पाँच फ़ुट की साँवली बदसूरत कुसुम ने
(जो प्रेम-पत्र पाने की योग्यता नहीं रखती)
पाए हैं गणित में 100
हतप्रभ खड़ा है अपूर्व
देखता हुआ 99
दो : तान्या
भौतिकी लिपस्टिक नहीं है
न ही सर्कुलर मोशन झुमके हैं
थर्मोडायनामिक्स भी कोई ब्रेसलेट नहीं है
जिसे तान्या इस्तेमाल करती चले
दूधिया गुलाबी चेहरा पाने के बाद
उसे अधिकार नहीं है ऐसा करने का
तान्या का काम है प्यारी बेवक़ूफ़ बातें करना
पढ़ता है निशांत
बनाता है नोट्स तान्या के लिए
जानते हुए भी कि उसे वो समझ नहीं आएगा
ख़ुश है तान्या
ख़ुश है निशांत
ब्लैकबोर्ड पर सवाल टँगा है
फ़िज़िक्स का सबसे मुश्किल सवाल
कई हाथ उठे हैं एक साथ
पर टीचर ने पकड़ा है
बातों में व्यस्त तान्या-निशांत को
'तुम!!'
निशांत—सर, मैं?
नहीं तान्या!
चिंतित है निशांत
मुस्कुरा रही है तान्या
ब्लैकबोर्ड के पास होकर भी
उसे महसूस हो रही है पैरों पर
कई जोड़ी आँखों की आग
शर्ट पर उभरे ब्रा के स्ट्रेप पर लगी
कई नज़रें
नहीं देखते हुए भी देख पा रही हैं
व्यग्र हैं सब, अधीर हैं...
चॉक लिए बैठे हैं निशांत, अतुल, रजत सब...
पर ये क्या?
न्यूमेरिकल बनाया तान्या ने!
जवाब सही है!!
(यानी फ़िज़िक्स के सर भी...)
इक्कीसवीं सदी की एक और बड़ी घटना घटी
जिस दिन तान्या ने वह सवाल बनाया
उसी दिन उसने घर जाने के लिए रिक्शा लिया
फ़िलहाल निशांत की बाइक की शान है
'फेमिना टू एफ.टी.वी.' निकिता!
तीन : नुज़हत
बामुलाहिज़ा होशियार
बेगम नुज़हत तशरीफ़ ला रही हैं :
अभूतपूर्व उत्साह के साथ चिल्ला रहा है
क्लास का प्लेबॉय रोहित
जी हाँ!
यह बायोलॉजी सेक्शन है
जहाँ 85 प्रतिशत बहुसंख्यक आबादी
दलित होने का दंश झेल रही है
किसी अदृश्य नियम से शासित कर रहा है उसे
कक्षा का अल्पसंख्यक सवर्ण वर्ग
नुज़हत टॉपर है
नुज़हत सब कुछ जानती है
नुज़हत मेहनती है
तो क्या हुआ?
रोहित पल्सर पर घूमता है
रोहित गॉगल्स लगता है
रोहित रोहित है!
ब्लैकबोर्ड पर सवाल टँगा है
फ़ीमेल रिप्रोडक्टिव सिस्टम का डायग्राम
बायोलॉजी पढ़ने का सुख लूट रहे हैं अल्पसंख्यक
मैथ्सवालों की ईर्ष्या, कॉमर्सवालों की चिढ़...
'इनके तो मुँह में चाँदी का चम्मच है!'
पूछ रही है टीचर
सब हैं चुप
सोना...अनु...प्रेरणा...मेघा
टीचर का चेहरा बुझ रहा है
वह देख रही है कुछ मुस्कुराहटें
समझ रही है उनका मतलब
अंतिम उम्मीद की तरह देखा उसने नुज़हत को
नुज़हत ने हामी भरी
गर्व से खड़ी है मैम
नुज़हत उकेर रही है
फ़ेलोपियन ट्यूब, ओवरी, यूटेरस
नुज़हत बता रही है
हायमन है ये
ये है सर्विक्स
चेहरे गंभीर हैं
रोहित, अमित सबके
नज़रों से कह रही हैं
सोना, प्रेरणा बहुत कुछ उन्हें
पता नहीं क्यों विचित्र हो गया है आज
क्लास का माहौल
नुज़हत ने तुलना करने को बना दिया है
दूसरा रेखाचित्र भी
मेल रिप्रोडक्टिव सिस्टम
बताती जा रही है विस्तार से
ऐसे सुन रही है टीचर
मानो बीथोवन की कोई धुन हो
अचानक उठ गए हैं सोना प्रेरणाओं के कंधे
झेंप रहे हैं रोहित अमित सब
नुज़हत जब चुप हुई
जाने क्यों
बहुसंख्यकों ने बजाई ताली
जाने किस ख़ुशी में??
- रचनाकार : शुभम श्री
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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