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भूलन भेर

bhulan bher

अनुवाद : सुनीता डागा

सुचिता खल्लाळ

सुचिता खल्लाळ

भूलन भेर

सुचिता खल्लाळ

और अधिकसुचिता खल्लाळ

    कौन चल रहा है किसके हुक्म से

    रास्ते या क़दम

    रक्त में बसे अनगिनत सूरज की तरह

    अंग-अंग सारे इधर-उधर छँटकर

    मिलते हैं फिर से एड़ियों के नीचे

    शाश्वत पुनर्जन्म की तरह

    मोड़ पर

    कभी मोड़ के बाद की सीधी चाल पर

    आकाश-मिट्टी के पाटों के बीच घरघराती

    अजस्र चक्की से

    पीसकर निकलती है

    एक-एक स्मृति

    एक-एक आँसू

    हर नए चौराहे पर

    पीछे के टुकड़े को बेदख़ल करते हुए

    किसकी है यह जन्मजात ग़द्दारी

    रास्तों की या क़दमों की

    पृथ्वी की अथाह पीठ पर प्राणों को छीलकर

    चितेरी हुई यह लंबी-लंबी हिंसक रेखाएँ

    ज़ख़्मों के रक्त से सन कर भी

    नहीं हुए सुर्ख़-लाल हमारे तलुए

    या समझ ही नहीं आई

    आगे पड़ते क़दम को

    सुख-दुःख के भेद में निहित सूक्ष्म रेखा की

    कभी अकेले तो कभी साथ-साथ ख़ुशी से

    चलते रहे रास्ते और क़दम

    गाड़े कोस-कोस पर

    बस्तियों की निशानियों के नाजायज़ पत्थर

    फिर भी नहीं जुड़ पाए रास्ते बस्तियों के नाम के साथ

    रास्ते कभी थे ही नहीं बस्तियों के

    वैसे तो रास्ते कभी रास्तों के भी नहीं थे

    अनंत मौत की चकमा देती यह भूलन भेर

    थके-हारे क़दमों की झुँझलाते रास्तों पर

    आख़िरी रास्ते से निर्वासित होने पर भी

    जहाँ रुके होंगे क़दम

    वहाँ पर भी बन ही जाएगा

    एक नया रास्ता

    जन्म-जन्म के रेखांकित जंगल-सा…

    स्रोत :
    • पुस्तक : सदानीरा
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : सुचिता खल्लाळ
    • प्रकाशन : सदानीरा पत्रिका

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