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भोंपू युग

bhompu yug

अमित धर्मसिंह

अमित धर्मसिंह

भोंपू युग

अमित धर्मसिंह

और अधिकअमित धर्मसिंह

    हम जिस युग में जी रहे हैं

    वह भोंपू युग है।

    राष्ट्र के, धर्म के

    इतिहास के और संस्कृति के

    कई तरह के भोंपू बाज़ार में हैं,

    आप फ़्री में ले सकते हैं कोई भी भोंपू

    और फूँक सकते हैं कभी भी, कहीं भी।

    जितना चाहे प्रचार कर सकते हैं

    देश-दुनिया में

    अपना और भोंपू निर्माताओं का

    भोंपू बजा-बजाकर।

    आप जिस तरह का भोंपू बजाएँगे

    उसी से आपकी पहचान की जाएगी,

    राष्ट्र का तो राष्ट्रभक्त,

    धर्म का तो धर्मपरायण,

    इतिहास का तो इतिहासविद्

    और संस्कृति का तो संस्कृतिकर्मी।

    भोंपू की ख़ासियत यह होती है

    कि यह एक सुर में बजता है

    ऊँची आवाज़ में बजता है

    और एक हाथ से बजता है

    दो हाथों से बजने वाली ताली जैसी

    कोई बंदिश भोंपू के साथ नहीं।

    आप अच्छा-बुरा, बेसुरा

    कैसा भी भोंपू बजाए

    आपकी शान और पहचान में

    कोई कमी नहीं आने दी जाएगी

    यह गारंटी भोंपू निर्माताओं की है।

    भोंपू निर्माताओं ने भोंपू बनाते समय

    भोंपूबाज़ों की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा है,

    भोंपू बजने में अति सरल है, प्रभाव में अचूक है,

    भोंपू से निकलने वाली ज़रा-सी आवाज़ भी

    दबा लेने में सक्षम है

    दूसरी सभी आवाज़ों को।

    आवाज़ रुदन की हो

    चीख़ की हो, चीत्कार की हो,

    न्याय की हो, अधिकार की हो,

    कोई भी आवाज़ टिक नहीं पाती

    भोंपू के सामने।

    हाँ, सुनने वाले इसकी आवाज़ में

    आराम से सुन सकते हैं

    राष्ट्रगान, वंदेमातरम,

    भारतमाता की जय

    और महाभारती शंखनाद।

    कुछ दशकों पहले

    भोंपू चुस्की और कुल्फ़ी बेचने के

    काम आता था,

    गाँव के गली-मोहल्लों में

    साइकिल या रेहड़ी वाला भोंपू बजा-बजाकर

    मोहल्ले भर के बच्चों का ध्यान खींचता था,

    उसके भोंपू की आवाज़ सुनकर ही

    दौड़ते थे बच्चे चुस्की या कुल्फ़ी लेने।

    आज भी भोंपू का काम कुछ वैसा ही है

    दुकानदारी चलाने वाले आज भी

    भोंपू बजा-बजाकर

    अपनी-अपनी दुकाने चला रहे हैं

    और उन बच्चों का ध्यान

    आज भी खींच रहे हैं

    जो किन्हीं कारणों से बड़ा होने के बाद भी

    दिमाग़ से बच्चे रह गए हैं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अमित धर्मसिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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