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अनुराधा सिंह

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और अधिकअनुराधा सिंह

    बी टावर में रहने वाला

    बहुत बूढ़ा आदमी

    मर गया है

    जाने से पहले उसने मेरा चेहरा और बाल छूकर कहा था :

    '‘दो महीने के लिए कोलकाता जा रहा हूँ चंदा!

    यह मत सोचना कि मर गया होगा बुड्ढा’'

    जानती थी नहीं लौटेगा अब कभी

    क्योंकि कहीं भी लौट पाने के लिए

    कुछ ज़्यादा बूढ़ा हो चुका था

    नए रिश्ते बनाने के लिए बहुत पुराना

    और यह बात मायने नहीं रखती थी इस दुनिया के लिए अब और

    कि बस महीने में किसी एक दिन दिख जाने भर के लिए

    लौटना चाहता था मेरे पास

    मुझे असंभव नामों से बुलाने भर के लिए

    आना चाहता था फिर फिर मुझ तक

    क्योंकि इतना प्यार अच्छा नहीं होता।

    पूछती हूँ दो नितांत अजनबी आँखों से ‘आपके बाबा’?

    चाहती हूँ वह शोकाकुल दिखे, दिखे टूटा और उदास

    लेकिन लिफ़्ट दिखाती है 27

    गले में जोगेश्वरी हिंदू श्मशानगृह उतर आया है

    लिफ़्ट कहती है 22 और वह कहता है ‘ही इज़ नो मोर’

    उसने स्वर को भरसक मुलायम बना लिया है

    जैसे फ़िल्मों में ऑपरेशन थिएटर के बाहर

    बुरी ख़बर सुनाते हुए डॉक्टर करता है

    लिफ़्ट धड़धड़ाती हुई गिर रही है 15

    सुनो अजनबी, मैं तुम्हें छूना चाहती हूँ एक बार

    क्योंकि जिसकी बात तुम कर रहे हो

    उसके छूते ही

    ज़िंदगी में सब बिछड़े हुए लोग छू लेते थे मुझे एकबारगी

    वह जो मर गया है

    वह तुम्हारे पत्थर और मेरे पानी के बीच की नाव था

    वह जो तुम्हारी रगों में बह रहा है

    और बहता रहेगा अगली आधी सदी और

    मैं उसकी रगों में बह रही थी जाने कैसे और क्यों

    वह कहता था ‘मेरी तितली’

    और महानगरों के धुएँ से दम तोड़ती हुई सब तितलियाँ

    फड़फड़ा कर उड़ने लगतीं थीं मेरे ऊपर

    मेरा बाप होने के लिए बहुत बूढ़ा था वह

    लेकिन अगर पिछली पूरी सदी

    का निचोड़ यह बूढ़ा आदमी था

    तो अभी और जिया जा सकता है इस दुनिया में

    मैंने बस एक सवाल पूछा था उससे ‘इतना बूढ़ा होना कैसा लगता है?’

    और वह इतनी ज़ोर से हँसा था कि आस-पास खड़े लोग

    चौंक कर हमें देखने लगे थे

    हँसी से भीगी आँखें पोंछते हुए कहा था उसने ‘बहुत अच्छा’

    लिफ़्ट कहती है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनुराधा सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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