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बारूद का गोदाम

barud ka godam

जयप्रकाश लीलवान

जयप्रकाश लीलवान

बारूद का गोदाम

जयप्रकाश लीलवान

और अधिकजयप्रकाश लीलवान

    वे हमें बारूद के गोदाम

    समझते हैं तो ज़रूर समझें

    मगर इतना भी समझें

    कि हमारे गोदाम का बारूद

    'वर्णधर्म' के पक्ष में खड़े

    उस हिजड़े के लिए है

    जिसकी सत्ता के मूढ़े के पीछे लिखा है—

    'सत्यमेव जयते' जो

    सामने पड़ी मेज़ पर

    सोमवार से इतवार के बीच

    आने-जाने वाली हर तारीख़ को

    घूस के पैसे गिनने के बाद

    गद्-गद् हो उठता है।

    इतना ही समझो

    हमारे गोदामों का बारूद

    उनकी पीठ जला देने के लिए है

    जो 'मनु धर्म' के रुतबों की बदौलत

    इस देश की देह और आत्मा पर

    आगे और पीछे से चढ़ने के बाद

    'चरने जैसी' क्रियाओं को छोड़कर

    बाक़ी कुछ करने से

    सदैव इंकार करते आए हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दलित निर्वाचित कविताएँ (पृष्ठ 87)
    • संपादक : कँवल भारती
    • रचनाकार : जयप्रकाश लीलवान
    • प्रकाशन : इतिहासबोध प्रकाशन
    • संस्करण : 2006

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