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बाँसुरी का लंबा-सुर

bansuri ka lamba sur

अमरजीत चंदन

अमरजीत चंदन

बाँसुरी का लंबा-सुर

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और अधिकअमरजीत चंदन

    बाँसुरी का लंबा सुर एक नया रास्ता बनाता

    सोच इस रास्ते पर चलती

    यह रास्ता कभी समाप्त नहीं होता

    इसी राह पर ‘गोपियों’ में ‘कान्हा’ खेलता है

    ‘सोहनी-महींवाल’ झना में बहते जाते हैं

    लाल हुसैन को रांझे के द्वार अकेले ही जाना पड़ता है।

    बाँसुरी के श्वास में जंगल की आग है

    इस समय इतनी शीतल इतनी धीमी

    बाँसुरी का लंबा सुर मुझे अपने पास बुलाता है

    (शायद कोई संदेह-युक्त बात बतानी है)

    बाँसुरी का लंबा सुर मुझे हैरान करना चाहता है

    तो मैं पहले से ही हैरान बड़ा हूँ

    हर रोज़ नए राहों पर चलता।

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