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बहुत पढ़ा-लिखा बेकार

bahut paDha likha bekar

अनुवाद : शंकर लाल पुरोहित

मनोज कुमार मेहेर

मनोज कुमार मेहेर

बहुत पढ़ा-लिखा बेकार

मनोज कुमार मेहेर

और अधिकमनोज कुमार मेहेर

    मेरे सपनों में बहुत कुछ रहा

    कभी-कभी तय किया है

    रिपु सेठ की भैंगी बेटी को

    अपना ही लूँ।

    लीनू की कुँवारी माँ (शिक्षयित्री)

    बुरी नहीं,

    हाँ जी तलाक़शुदा

    रोजी डॉक्टरनी।

    शायद यह मेरा दुर्भाग्य है

    शायद क्षोभ को

    आदर्श में बदलने में

    कुछ समय और लगेगा मुझे।

    दूसरी ओर यदि देखें

    कोई-कोई जा चुके

    तो कुछ ईसाई धर्म में

    परिवर्तन हो चुके।

    मुझे किसी में आसक्ति नहीं

    यदि ऐसा करना होता

    तो कब से

    शामिल हो जाता

    अंडरवर्ल्ड में या

    पालिटिक्स में।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीसवीं सदी की ओड़िया कविता-यात्रा (पृष्ठ 325)
    • संपादक : शंकरलाल पुरोहित
    • रचनाकार : मनोज कुमार मेहेर
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2009

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