Font by Mehr Nastaliq Web

बाल मज़दूर के लिए लोरी

baal mazdur ke liye lori

अनाम कवि

अनाम कवि

बाल मज़दूर के लिए लोरी

अनाम कवि

और अधिकअनाम कवि

    कठोर और भयानक समय ने

    तुम्हारे चेहरे पर छोड़ दिए हैं, अपने चिह्न

    हथेलियों पर वह उछर चुका है घट्ठों की शक्ल में

    उठती हुई पतंग को, थपेड़ों ने गिरा दिया है, मैदान पर

    सुबह स्कूल के घंटे के साथ-साथ चीख़ रहे हैं

    सायरन और भोंपू

    बाहर दरवाज़े पर तुम्हारा नाम लेकर

    चीख़ रहा है मोटा, काला और भद्दा आदमी

    जिसे ख़तरनाक और नाज़ुक कामों के लिए

    तुम्हारी अँगुलियों की दरकार है

    उसी ने लिखाई है तुम्हारी उम्र अठारह साल

    वहाँ वह लड़का भी है

    जो तुम्हें इतवार को ले गया था मौज-मस्ती करने

    तब उसकी जेब में नोट थे

    और जिसने बताया था कि

    ऐसे नोट तुम्हें भी मिल सकते हैं

    और एक दिन वह तुम्हें ले आया फाँसकर, काम पर

    अब वह खाँसता है कोने में

    और आँखों के नीचे बढ़ रहे काले गड्ढों में

    समय के सूखे अंकुर टटोलता है

    खुजाता है देह बेतरह, खजियाए कुत्ते की तरह

    खींचकर गहरा कश, एक बूढ़े के मानिंद, अपलक

    ताकता है आसमान

    अब तुम्हारे लिए खेल के मैदान

    बंजर को चुके हैं

    धूल, धुआँ और ज़हरीली चीज़ों ने

    सोख लिया है तुम्हारा सत्त्व

    छिलके की तरह पड़ी है तुम्हारी देह

    नींद के मुहाने पर

    आँखों की जलन और खाँसी

    तुम्हारी नींद के ख़िलाफ़ हो चुकी है

    तुम्हारी शिथिल पेशियाँ और दुखते जोड़

    लड़खड़ाकर गिर पड़े बैल की तरह जवाब दे चुके हैं

    सब कुछ एक-एक कर भूख की आग में झोंक चुके हैं

    पिता की नज़र एक दिन तुम्हारे बचपन पर पड़ गई थी

    जिसके सपनों को, सिक्कों में ढाला जा सकता था

    तुम्हारी परवरिश और पढ़ाई के लिए

    नाकाफ़ी थी मजूरी

    तुम्हें लगा दिया गया जोखिम के कामों पर, आधी दिहाड़ी पर

    वही काला, भद्दा आदमी तुम्हारे कानों में

    होड़ जगाकर, बढ़ते लालच में

    फेंक जाता है कुछ नोट

    बहुत जल्द, वह तुम्हें नीबू की तरह

    पूरा निचोड़ लेना चाहता है

    तुम्हारी थकान में, मरे सपनों के अंकुर तैर रहे हैं

    और घड़ी के अलार्म की तरह चल रही है नींद

    तुम्हारी साइकिल में बँधा टिफ़िन फिर से साफ़ हो चुका है

    तुम्हें जल्दी सुला देने की, सभी को चिंता है

    रहस्यमय नींद कब तुम्हें ले लेगी अपने आग़ोश में

    तुम्हारी बेचैन देह यह जान नहीं पाएगी

    इस वक़्त तुम्हारी तरह पीला पड़ चुका है चाँद

    और वह बादलों में मुँह ढाँपने

    खिसक रहा है धीरे-धीरे

    इस वक़्त उनींदी हवा झल रही है पंखा

    विसर्जन गीत की तरह, लोरियाँ

    दिशाओं के झीने परदों में चली गई हैं, पत्तों के साथ

    चीज़ों को निरंतर झाड़ते, पोंछते, माँजते, चमकाते

    और काटते, फोड़ते, कूटते, जोड़ते तुम्हारे हाथों की हलचल

    अब शांत है

    तुम्हारे परोसते हाथ

    और अनगिनत चेहरों से बेख़बर आँखें

    अब बचे-खुचे खाने पर टिक गई हैं

    सो जाओ कि लोगों की प्रसन्न आतिशबाज़ी में

    तुम्हारे ही सपने झरकर राख में बदल रहे हैं

    लोगों की बीड़ी के कश में, तुम्हारे फेफड़े जवाब दे रहे हैं

    तुम्हारा ही अँधेरा गहरा हो रहा है

    सो जाओ की तारों से जुड़कर विज्ञान का प्रवाह

    तुम्हारे ही पैरों की ज़मीन छीन रहा है, निरंतर

    सो जा कि पिता-समय ने तुम्हें सौंप दिया है यम को

    सो जाओ कि तुम्हारे हाथों से रची सृष्टि

    समय की बेचैनी बन रही है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : एक अनाम कवि की कविताएँ (पृष्ठ 154)
    • संपादक : दूधनाथ सिंह
    • रचनाकार : अनाम कवि
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2016

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए