हमसे न कहा जाई
हमका इ गवारा हय
बगिया से चला जाई
उल्लू क मुल कबूतर
हमसे न कहा जाई।
नेता क कही देउता
अउर पुलिस का फरिस्ता
गोबर क यारों हेलुवा
हमसे न कहा जाई।
जीवन तोरी अदा पर
करबै न छीछालेदर
अब जान के दलदल मा
हमसे न फँसा जाई।
अंडा के भाव आलू
चीनी के भाव बालू
किसमिस के भाव महुवा
हमसे न लिहा जाई।
हर रंज क सहि लेबय
फुटपाथ पर रहि लेबय
गदहा क बाप कबहूँ
हमसे न कहा जाई।
हर रंग कय महरानी
घेरे अहय गिरानी
विस्की के भाव ठर्रा
हमसे न लिहा जाई।
- पुस्तक : जियौ बहादुर खद्दरधारी (पृष्ठ 28)
- संपादक : अटल तिवारी, अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी
- रचनाकार : रफ़ीक़ शादानी
- प्रकाशन : परिकल्पना, दिल्ली
- संस्करण : 2025
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