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आपन डगर है संत कबीरी

aapan Dagar hai sant kabiri

रफ़ीक़ शादानी

अन्य

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रफ़ीक़ शादानी

आपन डगर है संत कबीरी

रफ़ीक़ शादानी

और अधिकरफ़ीक़ शादानी

    भले से हय मुफलिसी फकीरी

    आपन डगर हय संत कबीरी

    करित नहीं हम चमचागीरी

    खात हय गदहा खाय पंजीरी

    दुइ-दुइ गनर साथ मा रक्खय

    यहिका संत फकीर कही

    सबसे महँगी कार मा घूमय

    इनका पहुँचा पीर कही

    आपन घर तउ फूँकयँ नाहीं

    केतनौ घर फुँकवाय दिहिन

    ताजमहल होटल मा ठहरयँ

    इनका दास कबीर कही

    स्रोत :
    • पुस्तक : जियौ बहादुर खद्दरधारी (पृष्ठ 30)
    • संपादक : अटल तिवारी, अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी
    • रचनाकार : रफ़ीक़ शादानी
    • प्रकाशन : परिकल्पना, दिल्ली
    • संस्करण : 2025

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