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आस्था के बिना आदमी

astha ke bina adami

रमेश ऋषिकल्प

रमेश ऋषिकल्प

आस्था के बिना आदमी

रमेश ऋषिकल्प

और अधिकरमेश ऋषिकल्प

    आस्था के बिना

    आदमी एक कंप्यूटर है।

    रुकने के बाद

    चल नहीं सकता।

    नहीं कर सकता पेंटिंग।

    आकाश पार की संभावनाओं में

    नहीं रख सकता दिलचस्पी।

    चमड़े का जूता बनकर

    चल सकता है किसी के पैर में।

    काट सकता है कभी भी

    किसी पैर को।

    तोड़ सकता है

    कभी भी परमाणु।

    आस्था के बिना आदमी

    एक साबुन की टिक्की है

    परिस्थितियों के बहाव में जल्दी घुल जाएगी।

    कुछ भी धुल नहीं पाएगा उससे

    इतिहास

    परंपरा

    वर्तमान

    ही आदमियत का मैल

    जिसे अनादिकाल से आदमी धोता रहा है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : हथेलियों के पुल (पृष्ठ 39)
    • रचनाकार : रमेश ऋषिकल्प
    • प्रकाशन : पराग प्रकाशन
    • संस्करण : 1989

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