वान गॉग के अंतिम आत्मचित्र से बातचीत
wan gaug ke antim atmchitr se batachit
एक पुराने परिचित चेहरे पर
न टूटने की पुरानी चाह थी
आँखें बेधक तनी हुई नाक
छिपने की कोशिश करता था कटा हुआ कान
दूसरा कान सुनता था दुनिया की बेरहमी को
व्यापार की दुनिया में वह आदमी प्यार का इंतज़ार करता था
मैंने जंगल की आग जैसी उसकी दाढ़ी को छुआ
उसे थोड़ा-सा क्या किया नहीं जा सकता था काला
आँखें कुछ कोमल कुछ तरल
तनी हुई एक हरी नस ज़रा-सा हिली जैसे कहती हो
जीवन के जलते अनुभवों के बार में क्या जानती हो तुम
हम वहाँ चलकर नहीं जा सकते
वहाँ आँखों को चौधियाता हुआ यथार्थ है और अँधेरी हवा है
जन्म लेते हैं सच आत्मा अपने कपड़े उतारती है
और हम गिरते हैं वहीं बेदम
ये आँखें कितनी अलग हैं
इनकी चमक भीतर तक उतरती हुई कहती है
प्यार माँगना मूर्खता है
वह सिर्फ़ किया जा सकता है
भूख और दुख सिर्फ़ सहने के लिए हैं
मुझे याद आईं विंसेंट वान गॉग की तस्वीरें
विंसेंट नीले या लाल रंग में विंसेंट बुख़ार में
विंसेंट बिना सिगार या सिगार के साथ
विंसेंट दुखों के बीच या हरी लपटों वाली आँखों के साथ
या उसका समुद्र का चेहरा
मैंने देखा उसके सोने का कमरा
वहाँ दरवाज़े थे
एक से आता था जीवन
दूसरे से गुज़रता निकल जाता था
वे दोनों कुर्सियाँ अंततः ख़ाली रहीं
एक काली मुस्कान उसकी तितलियों पर मँडराती थी
और एक भ्रम जैसी बेचैनी
जो पूरी हो जाती थी और बनी रहती थी
जिसमें कुछ जोड़ा या घटाया नहीं जा सकता था
एक शांत पागलपन तारों की तरह चमकता रहा कुछ देर
विंसेंट बोला मेरा रास्ता आसान नहीं था
मैं चाहता था उसे जो गहराई है और कठिनाई है
जो सचमुच प्यार है अपनी पवित्रता में
इसलिए मैंने ख़ुद को अकेला किया
मुझे यातना देते रहे मेरे अपने रंग
इन लकीरों में अन्याय छिपे हैं
यह सब एक कठिन शांति तक पहुँचता था
पनचक्कियाँ मेरी कमज़ोरी रहीं
ज़रूरी है कि हवा उन्हें चलाती रहे
मैं गिड़गिड़ाना नहीं चाहता
आलू खाने वालों* और शराब पीने वालों* के लिए भी नहीं
मैंने उन्हें जीवन की तरह चाहा है
अलविदा मैंने हाथ मिलाया उससे
कहो कुछ हमारे लिए करो
कटे होंठों में मुस्कुराते विंसेंट बोला
समय तब भी तारों की तरह बिखरा हुआ था
इस नरक में भी नृत्य करती रही मेरी आत्मा
फ़सल काटने की मशीन की तरह
मैं काटता रहा दुख की फ़सल
आत्मा भी एक रंग है
एक प्रकाश भूरा नीला
और दुख उसे फैलाता जाता है।
__________________________
*'पोटैटो ईटर्स', **'ड्रिंकर्स'—वान गॉग के प्रसिद्ध चित्र।
- पुस्तक : एक जन्म में सब (पृष्ठ 34)
- रचनाकार : अनीता वर्मा
- प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
- संस्करण : 2003
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