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‘अपराध और दंड’ पढ़ने के बाद

‘apradh aur danD’ paDhne ke baad

मनोज मल्हार

मनोज मल्हार

‘अपराध और दंड’ पढ़ने के बाद

मनोज मल्हार

और अधिकमनोज मल्हार

    गेहूँ के भूसे की मरी रंगत में लिपटा

    धब्बेदार, धूसर शहर।

    दिनों की घटनाएँ

    एकदम खिसकती चट्टान-सी

    गिरती हैं...अचानक

    शहरी हो हल्ले में

    गर्मी के दिनों के

    तीव्र, आवेशी दृश्य की तरह

    कंपकपाती है

    अशाँति की आशंका,

    बीमार गंधाते समाज को

    दूध पिलाता समाज...

    धूल की कीचड़दार पर्तों में लिपटे

    बड़े रोड़े गड्ढे गहरे।

    हवा का ज़ोरदार झोंका–

    और धुल से ढँक जाती है दिशाएँ

    राह में देने फैलाए ज़र्द गेरुआ ट्रक।

    बड़े ख़तरनाक ढंग से मुडती हैं टायरें

    वीभत्स ढंग से टकराती हैं

    पिलाई रोशनी की आड़ी तिरछी रेखाएँ

    छायाएँ नाच उठती हैं

    पास कहीं कर्कश संगीत गूँजता है

    पेड़ की डालों से कौवों का झुँड उड़ा जाता

    काँव–काँव की रौरव फैलाता।

    फिर जान पर बन आई है।

    पानी का कैन लादे

    रस्कोलनिकोव

    असहाय नज़रों से घूर रहा है

    वह घूर रहा है

    और उसके सामने है रंगीनियों की चकाचौंध।

    नियोनी रश्मियों के पुंज!

    बहुत बड़े साइनबोर्ड में

    उन्मुक्त हँसी बिखेरती तारिकाएँ...

    वह घूर रहा है

    क्रूरता के मासूम से दिखते चेहरों को

    जो रात के अँधेरे में दानव अवतार लेते हैं

    और मंदिरों–मस्जिदों में

    ताले लटक जाते हैं...

    असहाय नज़रों से घूर रहा, वह

    शर्तिया अपराध करेगा।

    फिर दूनिया के क़दमों को चूम, कहेगा–

    “मैं तुम्हारे नहीं, समस्त पीड़ित मानवता के

    क़दमों चूम रहा हूँ”

    तंग गलियों में वो फक्कड़

    ठोकरें खाएगा,

    भूख से अकड़ी अंतड़ियाँ लिए

    माँ के दुखों को याद कर

    वह फिर वार करेगा...

    खौफ़नाक अपराध!

    पत्थर, चाकू, लाठी

    सामूहिक दहन की सामग्रियों से

    सज्जित नैतिकताएँ,

    तमाम धर्मशास्त्रों की आयतें

    ख़तरनाक अपराधी बताएँगी...

    ...धीरे-धीरे

    धुँधली पड़ती जाएँगी

    श्रेष्ठ मानवीय भावनाएँ।

    आप दार्शनिक होते-होते

    एकदम से चिल्ला उठेंगे–

    ‘हाँ-हाँ! अपराधी है वह!

    ख़ून किया है उसने!’

    मगर रस्कोलनिकोव को नहीं रोक पाएँगे।

    माथे पर शिकन, आँखों में जलन लिए

    विश्थापित, दर-बदर

    इनके भीतर जी उठेगा रस्कोलनिकोव

    पवित्र और ‘वांटेड’ अपराधी

    दोस्तोयेव्स्की।

    ..

    फ्योदोर दोस्तोयेव्स्की का उपन्यास

    उपन्यास का केंद्रीय पात्र

    वेश्यावृति करने को मज़बूर रस्कोलनिकोव की बहन

    स्रोत :
    • रचनाकार : मनोज मल्हार
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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