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अपना समय

apna samay

चंद्रेश्वर

चंद्रेश्वर

अपना समय

चंद्रेश्वर

और अधिकचंद्रेश्वर

    कुछ बातें रंग और दम पैदा कर देती हैं

    कल्पना में भी

    मसलन, यह सोचकर ही कितना ख़ूबसूरत लगने लगता है

    अपना समय कि एक मैना की चीत्कार से

    दरक सकता है अभेद्य किला

    किसी पापी राजा का

    एक बुल-बुल की आह से जा सकती है गद्दी

    किसी आततायी महंत की

    एक गौरैया का फुदकना बाधित कर सकता है शिकार

    किसी रक्तपाई शेर का

    एक हँस का नीर-क्षीर विवेक भारी पड़ सकता है

    किसी हमलावर की एक अक्षौहिणी सेना पर भी

    एक कबूतर के गुटर-गूँ से दब जा सकता है

    क्रूर ठहाका किसी क़ातिल का

    एक सताई हुई स्त्री के रोने से आई

    भयानक बाढ़ में

    बह जा सकता है राज-पाट समूचा

    किसी चौपट राजा का

    यहाँ तक कि

    अनीति से भरा कोषागार भी खर-पतवार की तरह

    जल सकता है धू-धू कर!

    स्रोत :
    • रचनाकार : चंद्रेश्वर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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