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अंतिम सिपाही की तरह

antim sipahi ki tarah

लीलाधर मंडलोई

लीलाधर मंडलोई

अंतिम सिपाही की तरह

लीलाधर मंडलोई

और अधिकलीलाधर मंडलोई

    मैं उनके लिए पागल हूँ जिन्हें बचा नहीं सका

    मैं उनके लिए रोता हूँ जो लड़ते हुए क़ब्र में अब भी ज़िंदा हैं

    मैं रस्मी मातम में शरीक़ नहीं

    मैं उन आवाज़ों में हूँ जिनमें मुक्ति का गान गूँजता है

    मैं उनके लिए अपनी घृणाओं को आकाश करना चाहता हूँ

    मैं न्याय के लिए अंतिम सिपाही की तरह

    जीत के लिए मर जाना चाहता हूँ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : जलावतन (पृष्ठ 35)
    • रचनाकार : लीलाधर मंडलोई
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
    • संस्करण : 2018

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