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मृत्यु का भय

mrityu ka bhay

श्री अरविंद

श्री अरविंद

मृत्यु का भय

श्री अरविंद

और अधिकश्री अरविंद

    हमारे जीवन में मृत्यु स्वेच्छा से करती है विचरण, 
    मधुर 'मृत्यु' की व्यस्तता है हमारा हर अंतर्श्वसन। 
    तुम क्यों भय खाते हो उससे? देखो, उसका हँसता मुखमंडल 
    प्रकाश से पूरी तरह अरुणिम, श्रीमय प्रफुल्ल! 
    वसंत की फुहारों से हरा-भरा उपवन मनोहर 
    उसमें फूल बीनती एक कुमारिका सदय, सुंदर, 
    उससे तुम डरते हो, तरुणी द्वारपालिका दीप्त-प्रसन्न 
    जो खोलती है हमारी आत्माओं के लिए प्रकाश के भुवन। 
    क्या यह भय इस कारण है कि आकुंचित वृंत को सहन 
    करनी पड़ती पीड़ा, जब कोमलतम कर करते इसकी शोभा का हरण?
    क्या इसलिए कि पुष्पहीन डंठल कुम्हलाकर हो जाता शिथिल 
    और असुंदर अब, जो इतना मनोज्ञ था और मंजुल? 
    या यह है खुलते प्रवेश-द्वार का कर्कश ध्वनि-घर्षण, 
    साहस-शून्य निर्बल प्राणियों, जो भर देता तुममें भय-कंपन?
    मृत्यु है केवल हमारे वस्त्रों का परिवर्तन-रूपांतर 
    एक प्रतीक्षा वैवाहिक परिधान में 'शाश्वत' के द्वार पर।
    स्रोत :
    • पुस्तक : श्री अरविंद | चुनिंदा कविताएँ (पृष्ठ 102)
    • रचनाकार : श्री अरविंद
    • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत
    • संस्करण : 2020
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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