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अम्मा का कोना

amma ka kona

कौशल किशोर

कौशल किशोर

अम्मा का कोना

कौशल किशोर

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    अम्मा चाहती थी कि घर में हो

    एक पूजा घर

    और वह ऐसा हो जैसा वह चाहती थी

    यह कैसे संभव था

    जब घर के लोगों के लिए ही जगह पर्याप्त नहीं थी

    वे रह रहे थे अड़स कर

    चलती ट्रेन में कइयों की जगह पाँव दान पर थी

    ऐसे में अम्मा के भगवान के लिए अलग से पूजा घर हो

    यह बड़ी समस्या थी

    अम्मा एडजस्ट करना जानती थी

    ऐसा करते हुए गुज़ार दी थी सारी ज़िंदगी

    तनाव जीती रही

    पर कभी नहीं ज़ाहिर किया कि वे तनाव में हैं

    पूजा घर के लिए भी उन्होंने ही रास्ता निकाला

    वह ऐसा था जैसे साँप मरा, लाठी भी सलामत रही

    मतलब किसी को परेशानी नहीं हुई

    अम्मा ने पूजा घर के लिए चुना वह कोना

    जो घर की फ़ालतू चीज़ों का ढेर बना था

    इस जगह की साफ़-सफ़ाई हुई

    कुछ कूड़े वाले के हवाले

    तो कुछ कबाड़ी के, दो पैसे भी मिले

    यह अम्मा का श्रम था कि कोना खिल उठा

    यहीं अम्मा के देवी-देवता स्थापित हुए

    पूजा की सामग्री, धार्मिक पुस्तकें

    और वह कॉपी जिस पर अम्मा ‘राम-राम’ लिखती थी

    इन सबकी जगह बनी

    अब यह कोना अम्मा का कोना के नाम से जाना जाने लगा

    सबकी ज़बान पर चढ़ गया

    घर में इस तरह रौशन हुआ

    जैसे शहर का यह अटल चौराहा या टंडन पार्क हो

    माचिस, क़लम या किसी चीज़ की ज़रूरत हो

    सबको अम्मा का कोना याद आता

    अम्मा जब दुनिया से गई

    इस बात पर बहस छिड़ी

    कि क्या किया जाए इस कोने का

    कौन जलाएगा धूप-बत्ती सुबह-शाम

    कैसे यह मेनटेन होगा

    और कुछ करो, लावारिस की तरह छोड़ दो

    तो यह अनादर होगा

    सिर्फ़ देवी-देवताओं का, अम्मा का भी

    बहस किसी अंजाम तक पहुँच पाई

    किसी की हिम्मत नहीं हुई कि

    वह अम्मा के पूजा घर को

    उनके साथ विदा करे

    उसे अपनी जगह से जरा भी खिसकाए

    इस तरह अम्मा का कोना अपनी जगह जमा रहा

    कोई नहीं कर सका उसे टस से मस

    अम्मा के जाने बाद भी

    उनका कोना अपनी जगह बना रहा

    उनकी तस्वीर वहाँ स्थापित हुई

    और बाबूजी गए तो अम्मा को उनका साथ मिल गया

    अब दोनों साथ-साथ रहते हैं

    यह भी अजीब है कि अम्मा के देवी-देवता के सामने

    कभी झुकने वाला सिर झुक जाता है

    घर में अम्मा का कोना

    उसका होना अहसास कराता है कि

    अम्मा-बाबूजी साथ हैं हमारे।

    स्रोत :
    • रचनाकार : कौशल किशोर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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