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अंबेडकरवादी हाइकु

ambeDakarwadi haiku

मुसाफ़िर बैठा

मुसाफ़िर बैठा

अंबेडकरवादी हाइकु

मुसाफ़िर बैठा

और अधिकमुसाफ़िर बैठा

     

    एक

    ऋषि शम्बूक
    दलित पूर्वज जो
    ब्रह्म-शिकार।

    दो

    चिंतक वाम
    दक्षिण घूमे, सूँघ
    शूद्र दख़ल।

    तीन

    पंडित कैसा
    मरे तो जरे लग
    दलित हाथ।

    चार

    सहानुभूति
    स्वानुभूति से बड़ी
    स्वादे पीड़क।

    पाँच

    स्वानुभूति का
    तोड़ कहाँ, जो जोर
    लगा ले द्विज।

    छह

    भाई गज़ब
    राम की शक्तिपूजा
    कविता वाम!

    सात

    पंडित बन
    तू हगो न वेद जी
    नया ज़माना

    आठ

    नक्सली को तू
    बनाए बराबर
    क्यों राक्षस के?

    नौ

    नहीं आदमी
    रह जाए, लगे जो
    नक्सली ठप्पा!

    दस

    ढोए दोहरा
    अभिशाप-सा भार
    दलित नार।

    ग्यारह

    आरक्षण ये
    टटका अबका छी
    बासी हाँ, क्यों जी?

    बारह

    जारे रावण
    को, जा रे खल भक्त
    राम कहा क्या?

    तेरह

    हाथ में रक्षा
    धाग, ऊँगली नग
    आह! दलित!!

    चौदह

    छूत-अछूत
    भाव क़ायम, ख़ाक
    नया ज़माना?

    पंद्रह

    मेरिट रट
    मत मूत आस्माँ पे
    बचाओ मुख!

    सोलह

    ढाई आखर
    पढ़ कबीर का, ऐ
    पंडित तुम

    सत्रह

    आरक्षण तो
    पुजाई पंडिताई
    भी, मानोगे न?

    अठारह

    सौंदर्यशास्त्र
    नया गढ़े दलित
    तू पुरा तज!

    उन्नीस

    तिलिस्म टूटा
    अब तेरी मेधा का
    ओलम्पिक में!

    बीस

    पंडित, देखो
    लिख लोढ़ा पढ़ पत्थर
    भी, कहलाए!

    इक्कीस

    कामचलाऊ
    पढ़ भी बन लो
    पंडित पंडा

    बाईस

    संसकिरत
    बस क ख ग पढ़
    पंडित बन!

    तेईस

    धरम खेल
    रेलमपेल, चेत
    धंधाबाज़ों से।

    चौबीस

    शोणित एक
    अनेक धर्मफेरे
    फेर में फंस!

    पच्चीस

    मिथ्या कथन
    सर्वधर्मसम के
    भाव में है जी

    छब्बीस

    पाँचों वक़्त क्यूँ
    पढ़े नमाज़, कवि
    प्रगतिशील!

    सत्ताईस

    बुद्ध महान
    छोड़ गए संदेश
    देखा क्या गह?

    अट्ठाईस

    हरिजन जो
    गाँधी का दलित, ना
    अंबेडकरी

    उनतीस

    बन नूतन 
    एकलव्य, न कर
    अँगूठा दान

    तीस

    बाबा साहेब
    जिसका नाम, कर
    उसका साथ!

     
    स्रोत :
    • रचनाकार : मुसाफ़िर बैठा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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