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अलगौझा

algaujha

प्रमोद कुमार तिवारी

और अधिकप्रमोद कुमार तिवारी

    आज बहुत ग़ुस्सा है चुन्नू

    चुन्नू सचमुच बहुत ग़ुस्सा है,

    इस बार चुन्नू किसी को नहीं छोड़ेगा

    चाचा के शहर से आते ही

    वह एक-एक की शिकायत करेगा—

    चाची ने उसे गोद में नहीं सुलाया

    उसकी चुटिया भी नहीं बनाई।

    इस बार चाचा की गोद में चढ़कर

    चुन्नू, सच्ची-मुच्ची चाची के बाल खींचेगा।

    और मुन्नी दीदी!

    उन्हें तो पिटवाए बग़ैर, चुन्नू चाचा से बात तक नहीं करेगा

    दीदी 'हवाई वाली मिठाई' उसे नहीं दीं

    उसकी गुड़िया भी नहीं बनाईं

    कैसे चट से बोल दिया :

    'जाओ अपने भाई के साथ खेलो

    इधर क्यों आते हो!'

    चुन्नू बता देगा कि मुन्नी दीदी

    सारा दिन 'लछमिनिया' के साथ गोट्टी खेलती हैं।

    आज बहुत ग़ुस्सा है चुन्नू

    वह मोनू से कभी, कभी बात नहीं करेगा

    वह कहता है 'मैं चाचा का राजा बेटा नहीं हूँ'

    मोनू बहुत झूठा है,

    कहता है कि तुम तो अपने पापा के बेटे हो!

    चुन्नू सारा 'सबक़' याद किए बैठा है

    आते ही, चाचा को सुनाकर

    वह फिर से राजा बेटा बन जाएगा

    और मोनू को ख़ूब चिढ़ाएगा।

    चुन्नू मम्मी की भी शिकायत करेगा

    उन्होंने चाची की दी मिठाई

    नाली में फिंकवा दी।

    चुन्नू बताएगा

    कि राजू भैया बिल्कुल पागल हो गया है

    हमारे मटर वाले खेत को कहता है : 'हमारा नहीं है।'

    बोलता है कि गाँव के सारे लड़के खाएँ पर तुम मत खाना

    क्यों नहीं खाएगा भला!

    वह तो चाचा के कंधे पर बैठ

    टिक-टिक घोड़ा दौड़ाता जाएगा

    और सारी जेबों में छेमियाँ भर के लौटेगा।

    और हाँ! किसी को नहीं देगा।

    नहीं मुन्नी दीदी को भी नहीं!

    आज बहुत ग़ुस्सा है चुन्नू।

    चाचा गए! चाचा गए! चाचा मेरी टॉफ़ी!

    अरे! ये क्या? चाचा ने उसे गोद में नहीं उठाया

    उसकी चुटिया भी नहीं खींची,

    अवाक्, चकित चुन्नू को

    कुछ समझ में नहीं रहा

    उसे बहुत रुलाई रही है...

    चुन्नू यह सोच-सोचकर परेशान है

    कि चाचा की शिकायत

    आख़िर किससे करे?

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रमोद कुमार तिवारी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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