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आखिर काहे रिसियाइ गया

akhir kahe risiyai gaya

अनीस देहाती

अनीस देहाती

आखिर काहे रिसियाइ गया

अनीस देहाती

और अधिकअनीस देहाती

    सत् सिरी अकाल, जय सिरीराम,

    गुडबाई, वालेकुम सलाम।

    पैलगी करैं, आसीस देंय,

    यहि खेत्ता कै सब खास-आम।

    अबकी तौ भया बेदरदी अस,

    जइसे एकदमै भुलाइ गया।

    आखिर काहे रिसियाइ गया?

    वोटे खातिर तू जब आया,

    बल भै आदर-सत्कार कीन।

    जितवावइ खातिर तोहका हम,

    हर कस्बा-गली गोहार कीन।

    केउका समझाये-फुसलाये,

    कुछ की खातिर फुफकार कीन।

    कुछ का तोहरे वोटे खातिर,

    बँटवाये कंबल-मारकीन।

    सारा नुस्खा कप्चरिंग बरे,

    रतियइ मा आय बताइ गया।

    आखिर काहे रिसियाइ गया?

    दिन हम कइसे भूलि सकब,

    जब वोटे मा तू आया हा।

    जनता कै दुख समझे-बूझै का,

    गली-गली मा धाया हा।

    रमटहला की ठाई सँझा का,

    टुटही खटिया पाया हा।

    चूनी के रोटी माठा के सँग,

    बड़े प्रेम से खाया हा।

    हम खुद किसान कै पूत अही,

    बात हमैं बतियाइ गया।

    आखिर काहे रिसियाइ गया?

    बिसुआस कीन तोहरे ऊपर,

    तोहका आपन आँघट समझे।

    भारतमाता की नइया कै,

    तोहका सच्चा केवट समझे।

    तोहका हम कल्पवृच्छ समझे,

    हम तोहका अच्छयबट समझे।

    आसा-बगिया सींचै खातिर,

    तोहका हम अमरितघट समझे।

    आस्वासन कै कम्पट दइके,

    लरिका अस तू फुसलाइ गया।

    आखिर काहे रिसियाइ गया?

    नाहीं आया मुल कहे रहया,

    अउबै फुलवा की सादी मा।

    अस ढीठ होइ गया काउ कही,

    का तावा बाट्या नाँदी मा।

    तोहरी खातिर कीचड़ केतना,

    उछरत बाटै आबादी मा।

    तू धब्बा अस परि गया भाय,

    गाँधी बाबा की खादी मा।

    भा कउन कसुरवा हम सबसे,

    जउने से आज कोंहाइ गया।

    आखिर काहे रिसियाइ गया?

    पाया ओहदा रजधानी मा,

    सुनतै हम सब छोड़ गये धन्न।

    तोहरे जीतै के समाचार पउतै,

    सैलानी भए सन्न।

    उद्घाटन-सिलान्यास खातिर,

    तू दौड़त बाट्या दक्ष-दन्न।

    सरकारी गाड़ी पाइ गया,

    चारिउ मूँ धावा सन्न- सन्न।

    हम सब चाहे भट्ठे जाई,

    तू आपन कुर्सी पाइ गया।

    आखिर काहे रिसियाइ गया?

    तू मालपुआ काटत बाट्या,

    हम कइसेव दिन काटत बाटे।

    तू पिया रम्म-भिस्की-ताड़ी,

    हम ओस-बूँद चाटत बाटे।

    तू मौज करा मँसूरी मा,

    हम परा रही बेते-मेड़े।

    तू एयरकूल्ड मा ऐस करा,

    हम छाँह गही पेड़े-पेड़े।

    कलजुगहा देउता बनिके तू,

    धरती अम्बर मा छाइ गया।

    आखिर काहे रिसियाइ गया?

    जब परी डकैची बदलू के,

    तब रहें दरोगा गाँवै मा।

    कुछ रहेन सिपाही पिये परा,

    होइगा उँजियार जगावै मा।

    इज्जतिया चम्पी कै लूटेन,

    कुछ गुंडै खड़ी दुपहरी मा।

    दुइ बिस्सा गँजी खोदि उठी,

    मतऊ कै आज भोरहरी मा।

    चारिउ मूँ हाहाकार मचा,

    तू बँगला मा ओलियाइ गया।

    आखिर काहे रिसियाइ गया?

    हमका नीमर जिन जान्या तू,

    औकात बतावै जानी थे।

    जे दुख मा हमरे साथ रहै,

    हम ओहका नेता मानी थे।

    वोटे खातिर अबकी अउब्या,

    गरियाउव गटई फारि-फारि।

    मेहररुअै तोहका बस्ती से,

    बहिअइहैं ताना मारि-मारि।

    समझे 'अनीस' नैनू तोहका,

    तू माठा अस अमिलाइ गया।

    आखिर काहे रिसियाइ गया?

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनीस देहाती
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए शैलेंद्र कुमार शुक्ल द्वारा चयनित

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