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अकेलेपन में

akelepan me

प्रीति चौधरी

प्रीति चौधरी

अकेलेपन में

प्रीति चौधरी

और अधिकप्रीति चौधरी

    बीहड़ अकेलेपन को

    दोस्तों ने उसकी व्यस्तता मान अनदेखा किया

    जब उसे सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी उनकी

    वे मानते रहे मगन होगी हो वह अपनी आभिजात्य संगतों में

    इंतज़ार था जब कि वे कुछ भी बहाना लेकर फ़ोन कर दें

    कि आज बारिश होती रही दिन भर शहर में

    या फिर यही कि फ़ैज़ुल्लागंज में फिर फैलेगा डायरिया

    विषयों की कमी के बीच

    योगी जी के बुलडोज़र का ही हाल पूछा जा सकता था

    थोड़े क़रीबी पूछ सकते थे कि

    घर में हेल्प की समस्या वैसी ही है या कोई मिला?

    बारिश में जबकि अकेले पकौड़ी खाना निरर्थक था

    कोई दोस्त फ़ोन करता तो बताता कि

    उसकी मौसी बनाती थी

    दुनिया की सबसे कुरकुरी पकौड़ियाँ

    कि जवानी में खा डालते थे वे

    ऐसी बारिशों में एकाध दर्ज़न समोसे

    वह सहेली जो बताती थी

    दिल्ली के पानी-बताशे में पड़े हींग के बारे में

    मालवीय नगर के अफ़ग़ान शरणार्थियों के बारे में

    और अपने कुछ टूटे सपनों

    और सीने की किरिच के बारे में

    योजनाओं की भरमार थी सहेली के पास

    अमल हुआ भी तो किस पर

    मेकओवर पर जो योजना में शामिल भी नहीं थी

    शख़्सियत के मेकओवर के बाद

    उसके पास अब बातें ही नहीं हैं

    वीडियो की सस्ती मुस्कुराहटों में कहीं खो गई सहेली

    दोस्त खो गए इनामों के जुगाड़ में।

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रीति चौधरी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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