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अहमदाबाद

ahamadabad

अमिताभ

अमिताभ

अहमदाबाद

अमिताभ

और अधिकअमिताभ

    आज सुबह-सुबह एक लड़का अपना अहमदाबाद लेकर मेरे घर में दाखि़ल हुआ

    एक बार ज़रूर आने का निमंत्रण लेकर

    उसने कहा मैं आदमी वहीं बना मेरा स्वर्ग मुझे वहीं मिला आप आकर देखिए

    आपने मुझे पहचाना नहीं मैं प्रद्युम्न गोद में बिठाकर

    उँगली पकड़कर आपने अक्षर लिखना सिखाया था

    कार, कंपनी डायरेक्टर तक सीधी पहुँच,

    डायरेक्टर की बीवी से मिलने वाले सम्मान और प्यार के बारे में

    बिना साँस लिए वह बोलता रहा

    बीच-बीच में बिहार को लात मार देता

    जैसे वह रास्ते पर सोया आवारा कुत्ता हो

    मैंने अपने अहमदाबाद के बारे में उससे कोई बात नहीं की

    किसी हाल में अहमदाबाद उससे छूटे

    मन ही मन मैंने दुआ माँगी

    स्रोत :
    • पुस्तक : समस्तीपुर और अन्य कविताएँ (पृष्ठ 177)
    • रचनाकार : अमिताभ
    • प्रकाशन : निबंध प्रकाशन
    • संस्करण : 2023

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