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अब राम अयोध्या नहीं लौटेंगे

ab ram ayodhya nahin lautenge

नवतेज भारती

नवतेज भारती

अब राम अयोध्या नहीं लौटेंगे

नवतेज भारती

और अधिकनवतेज भारती

    जब अयोध्या से

    राम को मिला था वनवास

    उनकी खड़ाऊँ

    तख़्त पर बैठ गई थी

    लकड़ी की खड़ाऊँ

    धरती का सुख-दुख

    अनुभव कर सकती थी

    काँटों की पीड़ा

    रघुकुल रीत को

    आगे चला सकती थी खड़ाऊँ

    मर्यादा हमेशा

    खड़ाऊँ पर चलती है

    वह जीते-जागते पाँवों पर

    भरोसा नहीं करती

    जीवंत पाँवों में

    कभी-कभी चक्रवात सुलगते हैं

    और चक्रवात

    सीधी समतल राहों पर नहीं चलते

    सदा रघुवंश की चली आती

    मर्यादा को

    राम के पाँवों में भी

    चक्रवात का शोर

    सुन गया होगा

    जनक सुता के लिए

    स्वर्ण हरिण के पीछे भागते पाँव

    काँटों से

    लहुलुहान होने वाले पाँव

    उस मर्यादा के लिए

    भला कैसे रास सकते हैं

    और राम को

    अयोध्या से बाहर

    निकाल दिया गया

    जंगल में चलने वाले

    जिज्ञासु पाँव

    जब ठहरते हैं

    मर जाते हैं

    लेकिन तख़्त पर

    चलने की जगह नहीं होती

    तख़्त का निर्माण सुशोभित

    उस पर बैठने के लिए हुआ है

    इसलिए जिज्ञासु पाँव

    तख़्त पर नहीं बैठते

    यदि बैठते भी हैं तो

    खड़ाऊँ बनकर

    अयोध्या में आज भी

    राम नहीं हैं

    काठ की खड़ाऊँ हैं

    जब तक दरबार में

    और मंदिरों में

    उसके खड़ाऊँ हैं

    तब तक राम वनवासी रहेंगे

    काठ की चरणपादुका की

    कोई उम्र नहीं होती

    मरी हुई वस्तु भी

    कोई चीज़ नहीं होती

    चरणपादुका की

    पूजा करती आँखें

    राम के

    काँटों से बिंधे पाँव नहीं देख सकतीं

    पूजा की और शर्त भी है

    कि माथा केवल खड़े पाँवों पर ही

    टिकता है

    और स्थिर पाँव चरणपादुका कहलाते हैं

    चरणपादुका की पूजा करने वाले

    चलते पाँवों के शत्रु होते हैं

    जो चलते पाँव

    चरणपादुकाओं के आगे नहीं रुकते

    जो जगमगाते रोशन माथे

    चरणपादुका के सामने नहीं झुकते

    काट दिए जाते हैं उनके पाँव

    उनके माथे के ख़ून के तिलक

    चरणपादुका पर लगाए जाते हैं

    जब तक चलते पाँवों को

    चरणपादुकाओं का श्राप लगा है

    राम अयोध्या नहीं आएँगे

    राम अयोध्या आएँगे तो

    उन्हें अपने चलते पाँव काटकर

    चरणपादुकाएँ बनाने पड़ेंगे

    चरणपादुका वाले राम

    भीलनी के जूठे बेर नहीं चख सकते

    जनक-सुता के लिए

    हरिण का पीछा नहीं करेंगे

    जिस राम ने अहिल्या को स्पर्श करके

    सुरजीत किया

    चरणपादुका पहनकर वही राम

    जनक- सुता की अग्नि परीक्षा लेंगे।

    यह रघुवंश की मर्यादा है

    और मर्यादा पुरुषोत्तम राम

    उसके दास हैं

    लेकिन राम

    जिज्ञासु पाँवों वाले राम

    तब तक अयोध्या नहीं लौटेंगे

    जब तक

    लकड़ी की चरणपादुका में से

    हरी पत्तियाँ नहीं फूटतीं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीसवीं सदी का पंजाबी काव्य (पृष्ठ 294)
    • संपादक : सुतिंदर सिंह नूर
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक फूलचंद मानव, योगेश्वर कौर
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2014
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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