Font by Mehr Nastaliq Web

आठवें पहर में

aathaven pahar mein

केतन यादव

केतन यादव

आठवें पहर में

केतन यादव

और अधिककेतन यादव

    आठवें पहर में लेटे हुए लगता है कि

    बाकि सातों पहरों से लेटा ही हुआ हूँ

    इसकी एड़ियों में सभी पहरों का दुख शामिल है

    दिन के चारों पहर का संघर्ष

    रात के चारों पहर हरने की कोशिश करते हैं

    दिन के चारों पहर में माथे से टपके

    पसीने की आवाज़ नहीं सुनाई देती पर आठवें पहर में

    टोटी से टपकता पानी दुख बनकर टपकता है

    पानी को देखने से भोजन की तृप्ति तो नहीं मिलती है

    लेकिन पानी देखकर खाने की याद ज़रूर जाती

    और कीमत भी पानी की तरह साफ़ हो जाता है पानी देखकर

    इस आठवें पहर में;

    जब कुत्ते बासी मुँह कबाड़ी वाले को देखकर ज़ोर-ज़ोर से भौंक रहे

    आकाश में तारों की ढिभरी भुक-भुकाकर बुझने की तैयारी में है

    आदमी आधी सोइ-जगी आँखों में एक भोरहरी उम्मीद बाँधकर

    ख़ुद को बिस्तर छोड़ने के लिए मनाता है

    जगाता है ख़ुद को आठवें पहर में।

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए