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आओ रानी, हम ढोएँगे पालकी

aao rani, hum Dhoenge palaki

नागार्जुन

नागार्जुन

आओ रानी, हम ढोएँगे पालकी

नागार्जुन

और अधिकनागार्जुन

    आओ रानी, हम ढोएँगे पालकी,

    यही हुई है राय जवाहरलाल की

    रफ़ू करेंगे फटे-पुराने जाल की

    यही हुई है राय जवाहरलाल की

    आओ रानी, हम ढोएँगे पालकी!

    आओ शाही बैंड बजाएँ,

    आओ बंदनवार सजाएँ,

    ख़ुशियों में डूबे उतराएँ,

    आओ तुमको सैर कराएँ—

    उटकमंड की, शिमला-नैनीताल की

    आओ रानी, हम ढोएँगे पालकी!

    तुम मुस्कान लुटाती आओ,

    तुम वरदान लुटाती जाओ,

    आओ जी चाँदी के पथ पर,

    आओ जी कंचन के रथ पर,

    नज़र बिछी है, एक-एक दिक्पाल की

    छ्टा दिखाओ गति की लय की ताल की

    आओ रानी, हम ढोएँगे पालकी!

    सैनिक तुम्हें सलामी देंगे

    लोग-बाग बलि-बलि जाएँगे

    दॄग-दॄग में ख़ुशियाँ छ्लकेंगी

    ओसों में दूबें झलकेंगी

    प्रणति मिलेगी नए राष्ट्र के भाल की

    आओ रानी, हम ढोएँगे पालकी!

    बेबस-बेसुध, सूखे-रुखडे़,

    हम ठहरे तिनकों के टुकडे़,

    टहनी हो तुम भारी भरकम डाल की

    खोज ख़बर तो लो अपने भक्तों के ख़ास महाल की!

    लो कपूर की लपट

    आरती लो सोने के थाल की

    आओ रानी, हम ढोएँगे पालकी!

    भूखी भारत-माता के सूखे हाथों को चूम लो

    प्रेसिडेंट के लंच-डिनर में स्वाद बदल लो, झूम लो

    पद्म-भूषणों, भारत-रत्नों से उनके उद्गार लो

    पार्लमेंट के प्रतिनिधियों से आदर लो, सत्कार लो

    मिनिस्टरों से शेकहैंड लो, जनता से जयकार लो

    दाएँ-बाएँ खडे हज़ारी ऑफ़िसरों से प्यार लो

    धनकुबेर उत्सुक दीखेंगे उनके ज़रा दुलार लो

    होंठों को कंपित कर लो, रह-रह के कनखी मार लो

    बिजली की यह दीपमालिका फिर-फिर इसे निहार लो

    यह तो नई-नई दिल्ली है, दिल में इसे उतार लो

    एक बात कह दूँ मलका, थोड़ी-सी लाज उधार लो

    बापू को मत छेड़ो, अपने पुरखों से उपहार लो

    जय ब्रिटेन की जय हो इस कलिकाल की!

    आओ रानी, हम ढोएँगे पालकी!

    रफ़ू करेंगे फटे-पुराने जाल की!

    यही हुई है राय जवाहरलाल की!

    आओ रानी, हम ढोएँगे पालकी!

    स्रोत :
    • पुस्तक : नागार्जुन : प्रतिनिधि कविताएँ (पृष्ठ 101)
    • रचनाकार : नागार्जुन
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2007

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