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आहत विश्वास

aahat wishwas

जावेद आलम ख़ान

जावेद आलम ख़ान

आहत विश्वास

जावेद आलम ख़ान

और अधिकजावेद आलम ख़ान

    न्याय का फ़ानूस बहती हवा का बग़लगीर है

    डरा हुआ क़ाज़ी सौंप आया है

    दरबारे-ख़ास को ईमान की पोटली

    धीरे-धीरे बुझते जा रहे हैं

    न्यायालय की चौखट पर रखे उम्मीदों के चिराग़

    हवा में घुल रहा है उन्माद का ज़हर

    दरबारी राज-काज को छोड़कर

    एक सुर में अलाप रहे हैं धर्म का राग

    वक़्त की छाती पर एक बीमार पीढ़ी खड़ी है

    जो राजा को ईश्वर से बड़ा मानती है

    और राजा ईश्वर को कठघरे में खड़ा करके

    अपनी गर्व से तनी भृकुटी के पीछे

    छिपाए हुए है एक कुटिल मुस्कान

    सामने खड़ी मस्जिद को देखते ही

    पंक्चर जोड़ते आबिद के हाथ

    चलते-चलते अचानक रुक जाते हैं

    और टायर ट्यूब की जगह

    टटोलने लगते हैं अपनी आत्मा के छेद

    उसके ज़ेहन में तैर रही है वह लड़की

    जिसने हिजाब उतारने से कर दिया है साफ़ इंकार

    और बाख़ुशी क़ुबूल किया है कॉलेज निकाला

    जिस देश में शुक सारिका पढ़ते हो

    यत्र नार्यस्तु पूज्यते के मंत्र

    वहाँ बेटियों का पढ़ना ज़रूरी नहीं

    देवी बना रहना ज़रूरी है

    सबका साथ सबका विकास का जुमला

    सबके दरवाज़े खटखटाता है

    और स्वीकृति मिलने पर

    अगले ही पल बुल्डोजर घड़घड़ाता है

    दुश्मन मुल्क से अपनी ज़मीन गँवाकर

    पूँछ दबाए बैठा फ़र्ज़ी शेर

    डेढ़ पसली लोगों के सीने पर बुलडोजर चढ़ाकर

    अपनी छाती ठोंक रहा है

    और इन तमाशों में नाचते जमूरों को

    लोक मुँह बाए विलोक रहा है

    स्रोत :
    • रचनाकार : जावेद आलम ख़ान
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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