खेती पाती बीनती
kheti pati binti
खेती पाती बीनती,
औ घोड़े की तंग।
अपने हाथ सँवारिये,
लाख लोग हों संग॥
खेती करना, चिट्ठी लिखना, बिनती करना (या किसी को मनाना) और घोड़े की तंग कसना; ये सब अपने ही हाथ से करना चाहिए। यदि लाख आदमी भी साथ हों, तब भी किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
- पुस्तक : घाघ और भड्डरी (पृष्ठ 32)
- संपादक : रामनरेश त्रिपाठी
- रचनाकार : घाघ
- प्रकाशन : हिंदुस्तानी एकेडेमी, यू.पी, इलाहाबाद
- संस्करण : 1949
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