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नागमती वियोग (तेरह)

nagamti wiyog (terah)

मलिक मोहम्मद जायसी

मलिक मोहम्मद जायसी

नागमती वियोग (तेरह)

मलिक मोहम्मद जायसी

और अधिकमलिक मोहम्मद जायसी

    भा बैसाख तपनि अति लागी। चोला चीर चँदन भौ आगी॥

    सूरुज जरत हिवंचल ताका। बिरह बजागि सौहँ रथ हाँका॥

    जरत बजागिनि होउ पिय छाँहाँ। आइ बुझाउ अँगारन्ह माहाँ॥

    तोहि दरसन होइ सीतल नारी। आइ आगि सो करु फुलवारी॥

    लागिउँ जरे जरे जस भारू। बहुरि जो भूँ जसि तजौं बारू॥

    सरवर हिया घटत निति जाई। टूक टूक होइ होइ बिहराई॥

    बिहरत हिया करहु पिय टेका। दिस्टि दवँगरा मेरवहु एका॥

    कँवल जो बिगसा मानसर छारहिं मिलै सुखाइ।

    अबहुँ बेलि फिरि पलुहै जौं पिय सींचहु आइ॥

    बैसाख का महीना आया और अत्यंत तपन लगने लगी। चंदनी चीर का चोला आग हो गया। सूर्य जलता हुआ हिमालय की ओर जाना चाहता था। वहाँ तो वह गया विरह की वज्राग्नि में तपती हुई मेरी ओर ही उसने रथ हाँक दिया। मैं और तपने लगी। हे प्रिय, वज्राग्नि जल रही है, तुम छाँह करो। अंगारों में मुझे आकर बुझाओ। तुम्हारे दर्शन से यह बाला शीतल होगी। हे प्रिय, आओ और अंगारों के स्थान पर फुलवारी कर दो। जैसे भाड़ जलता है वैसे ही जलने लगी हूँ। तुम यदि फिर-फिर भूनो तो भी तुम्हारा द्वार छोड़ेंगी। सरोवर की तरह मेरा हृदय प्रतिदिन घटता जाता है। एक दिन वह टुकड़े-टुकड़े होकर फट जाएगा। हृदय फट रहा है। हे प्रिय, उसे सहारा दो और अपनी कृपा-दृष्टि रूपी दवँगरे से उसे फटने से बचाओ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : पदमावत (पृष्ठ 353)
    • रचनाकार : मलिक मोहम्मद जायसी
    • प्रकाशन : लोकभारती प्रकाशन
    • संस्करण : 2007
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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