Font by Mehr Nastaliq Web

चित्रावली सौंदर्य : एक

chitraavalii saundarya- (.ek)

उसमान

उसमान

चित्रावली सौंदर्य : एक

उसमान

और अधिकउसमान

    लखो लिलाट दूजि कर चंदा, दूजि छाडि जग वो कहं बंदा।

    भौंह धनुष बरुनी विषवाना, देखि मदन धनु गहत लजाना॥

    बरुनी बान गडे जेहि हीये, बहुरि निकस जब लहुं जीये।

    लोचन विमल जानु सम जोवा, निमिष जो देख जनम भर रोवा॥

    अधर सुरंग जन खाए तंबोला, अबहीं जनु चाहै हसि बोला।

    लंक छीन जेहि भुंग लजाहीं, कोउ कह आहि कोऊ कह नाहीं॥

    फीली चरन सराहौं काहा, अबहिं रहसि चलै जनु चाहा।

    गुपुत रहै चितसारि महं, जग जाने सब कोइ।

    सपने जो कोइ देखई, सौतुक जोगी होइ॥

    चित्रावली का ललाट दूज के चाँद के समान दिखाई पड़ता है। दूज के चाँद को छोड़कर संसार में कोई और नहीं है जिससे उसकी तुलना की जा सके। उसकी भौंहें धनुष के समान हैं तथा पलकों के बाल ज़हर से बुझे हुए बाण के सदृश्य हैं, जिन्हें देखकर कामदेव का धनुष भी लजा जाता है। बरौनी रूपी बाण जिसके हृदय में गड़ जाते हैं, वह जब तक जीवित रहता है, उसके हृदय में ही कसकते रहते हैं। उसके नेत्र स्वच्छ हैं और ऐसा लगता है मानो वह सदैव कुछ खोजते रहते हैं। जिसने उन नेत्रों को एक क्षण के लिए भी देख लिया, वह जन्म भर रोता है अर्थात् उन्हें देखने के लिए विकल हो जाता है। उसके होंठ सुंदर रंग के ऐसे लाल-लाल हैं मानो उसने पान खा रखा हो। उसके अधरों पर स्मिति सदैव बनी रहती है, जिसे देखकर ऐसा लगता है मानो वे अभी हँसकर बोल पड़ेंगे। उसकी कमर इतनी पतली और लचीली है कि उसके समक्ष सर्प भी लजा जाते हैं। कोई कहता है कि यह कमर है और कोई कहता है नहीं है। उसके चरण और पिंडली की क्या सराहना करूँ, उन्हें देखकर ऐसा लगता है मानो वह अभी गुप्त स्थान की ओर चलना चाहते हैं (अर्थात् चित्र वाले प्रेमी पुरुष की उतावली से प्रतीक्षा कर रही है)। सारा संसार इस बात को जानता है कि वह अपनी चित्रशाला में गुप्त रूप से रहती है। जो कोई भी उसे अपने सामने देखता है या प्रत्यक्ष दर्शन करता है, वह तो कोई योगी ही हो सकता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : चित्रावली (पृष्ठ 58)
    • संपादक : माया अग्रवाल
    • प्रकाशन : कला मंदिर
    • संस्करण : 1985

    संबंधित विषय

    यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए