इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है
is nadii kii dhaar me.n Tha.nDii hava aatii to hai
दुष्यंत कुमार
Dushyant Kumar
                        इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है
is nadii kii dhaar me.n Tha.nDii hava aatii to hai
Dushyant Kumar
दुष्यंत कुमार
और अधिकदुष्यंत कुमार
इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,
नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है।
एक चिनगारी कहीं से ढूँढ़ लाओ दोस्तो,
इस दीये में तेल से भीगी हुई बीती तो है।
एक खँडहर के हृदय-सी, एक जंगली फूल-सी,
आदमी की पीर गूँगी ही सही, गाती तो है।
ए चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी,
यह अँधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है।
निर्वचन मैदान में लेटी हुई है जो नदी,
पत्थरों से, ओट में जो-जाके बतियाती तो है।
दुख नहीं कोई कि अब उपलब्धियों के नाम पर,
और कुछ हो या न हो, आकाश-सी छाती तो है।
- पुस्तक : साये में धूप (पृष्ठ 16)
 - रचनाकार : दुष्यंत कुमार
 - प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
 - संस्करण : 2019
 
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