ख़्वाब में फ़रहाद देखा फावड़ा देखा गुरू
khwab mein farhad dekha phaoDa dekha guru
संजय चतुर्वेदी
Sanjay Chaturvedi
ख़्वाब में फ़रहाद देखा फावड़ा देखा गुरू
khwab mein farhad dekha phaoDa dekha guru
Sanjay Chaturvedi
संजय चतुर्वेदी
और अधिकसंजय चतुर्वेदी
ख़्वाब में फ़रहाद देखा फावड़ा देखा गुरू
पर्बतों के पार जा के ज़ाविया देखा गुरू
करके मेहनत मर गया भोला हमारे बीच का
हर निकम्मे को मलाई पेलता देखा गुरू
लाद के हम चल दिए थे उन दिनों का हौसला
नाव बूढ़ी हो गई तब फ़ासला देखा गुरू
दो क़दम पूरे किए बस फिर ज़ईफ़ी आ गई
दो क़दम शैतान देखा और ख़ुदा देखा गुरू
आईना क़द के बराबर सामने आने लगा
उम्र के नौसादरों में तूतिया देखा गुरू
लाहुरे की जीप देखी जीप क्या थी ख़्वाब था
बस ज़रा सा दम लिया था माजरा देखा गुरू
हब्श से लूसी चली फिर डार्विन चलने लगा
उनके सौदा छोकरों ने क़ाफ़िया देखा गुरू
मंज़िलों के पार की दुनियाँ में देखीं मंज़िलें
पंछियों की आँख से भी देखना देखा गुरू
उस बियाबाँ में कोई धड़कन कोई आहट हुई
बर्फ़ के नीचे तलातुम खौलता देखा गुरू
रंग से आवाज़ आई हमने ख़ुशबू को छुआ
इंद्रियों में ही कमाल-ए-अंबिया देखा गुरू
ग़ैब में तारों से आगे रास्ता देखा गुरू
माशाअल्ला फिर वहीं पे लमगड़ा देखा गुरू
- रचनाकार : संजय चतुर्वेदी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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