ये समझते हैं खिले हैं तो फिर बिखरना है
ye samajhte hain khile hain to phir bikharna hai
अदम गोंडवी
Adam Gondvi
ये समझते हैं खिले हैं तो फिर बिखरना है
ye samajhte hain khile hain to phir bikharna hai
Adam Gondvi
अदम गोंडवी
और अधिकअदम गोंडवी
पर अपने ख़ून से गुलशन में रंग भरना है
उससे मिलने को कई मोड़ से गुज़रना है
अभी तो आग के दरिया में भी उतरना है
जिसके आने से बदल जाए ज़माने का निज़ाम1
ऐसे इंसान को इस ख़ाक से उभरना है
बह रहा दरिया इधर एक घूँट को तरसे
उदय प्रताप जी2 वादे से ये मुकरना है
- पुस्तक : धरती की सतह पर (पृष्ठ 34)
- संपादक : ओम निश्चल
- रचनाकार : अदम गोंडवी
- प्रकाशन : अनुज प्रकाशन
- संस्करण : 2023
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