एक कोई काम अच्छे से नहीं होता गुरू
ek ko.ii kaam achchhe se nahii.n hota guruu
संजय चतुर्वेदी
Sanjay Chaturvedi
एक कोई काम अच्छे से नहीं होता गुरू
ek ko.ii kaam achchhe se nahii.n hota guruu
Sanjay Chaturvedi
संजय चतुर्वेदी
और अधिकसंजय चतुर्वेदी
एक कोई काम अच्छे से नहीं होता गुरू
ढेर भर बड़का गुरू मँझला गुरू छोटा गुरू
हर किसू का पार्लर लेकिन हुसुन हईयै नहीं
शायरी बर्बाद फ़र्नीचर भया ज़्यादा गुरू
रफ़्ता रफ़्ता हम हुनर को गालियाँ देने लगे
फ़िक्र-ओ-फ़न का हर इदारा हो गया नंगा गुरू
हर किसू का बीस गज़ लंबा भया है क़ाफ़िया
हर विरासत हर हुनर से तोड़ के नाता गुरू
हर जगह चेले लगे सो उनके चेले आ गए
इस तरह इल्म-ओ-अदब का कर दिया राड़ा गुरू
उसपे तुर्रा ये कि हमसे ही नवा-ए-वक़्त है
इल्किलाबी दौर में अवाम को ठोका गुरू
- रचनाकार : संजय चतुर्वेदी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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