बहुत मायूस रहने से ज़राफ़त रूठ जाती है
bahut mayus rahne se zarafat rooth jati hai
लक्ष्मण गुप्त
Laxman Gupta
बहुत मायूस रहने से ज़राफ़त रूठ जाती है
bahut mayus rahne se zarafat rooth jati hai
Laxman Gupta
लक्ष्मण गुप्त
और अधिकलक्ष्मण गुप्त
बहुत मायूस रहने से ज़राफ़त रूठ जाती है
अना बढ़ जाए हद से तो शिकायत रूठ जाती है
भरोसे के सहारे ही इसे आबाद रखना तुम
जहाँ शक होने लगता है रफ़ाक़त रूठ जाती है
इसे आँखों से समझो औ' जियो दिल से हमेशा ही
नसीहत से मेरी जाना मुहब्बत रूठ जाती है
सफ़र दुश्वारियों का ही नया इतिहास लिखता है
न हो दुश्वार राहें तो ज़हानत रूठ जाती है
मिरे किरदार को गुमनामियों ने ही सँवारा है
बहुत मशहूर होने से रफ़ाहत रूठ जाती है
- रचनाकार : लक्ष्मण गुप्त
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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