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सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूँ

sau sau janam pratiksha kar loon

भारत भूषण

भारत भूषण

सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूँ

भारत भूषण

और अधिकभारत भूषण

    सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूँ

    प्रिय मिलने का वचन भरो तो!

    पलकों-पलकों शूल बुहारूँ

    अँसुअन सींचू सौरभ गलियाँ

    भँवरों पर पहरा बिठला दूँ

    कहीं जूठी कर दें कलियाँ

    फूट पडे पतझर से लाली

    तुम अरुणारे चरन धरो तो!

    रात मेरी दूध नहाई

    प्रात मेरा फूलों वाला

    तार-तार हो गया निमोही

    काया का रंगीन दुशाला

    जीवन सिंदूरी हो जाए

    तुम चितवन की किरन करो तो!

    सूरज को अधरों पर धर लूँ

    काजल कर आँजूँ अँधियारी

    युग-युग के पल छिन गिन-गिनकर

    बाट निहारूँ प्राण तुम्हारी

    साँसों की ज़ंजीरें तोड़ूँ

    तुम प्राणों की अगन हरो तो!

    स्रोत :
    • पुस्तक : मेरे चुनिंदा गीत (पृष्ठ 32)
    • रचनाकार : भारत भूषण
    • प्रकाशन : अमरसत्य प्रकाशन
    • संस्करण : 2008

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